मगरमच्छ संग ऊदबिलाव का व्यवहार 

मगरमच्छ संग ऊदबिलाव का व्यवहार 

स्मूद कोटेड ओटर (Lutrogale perspicillata), एशिया में पाए जाने वाला सबसे बड़ा ऊदबिलाव है जो नदी के स्वच्छ जल में निवास करते हैं। वहीँ दूसरी ओर मग्गर क्रोकोडाइल (Crocodylus palustris) जिसे मग्गर और मार्श क्रोकोडाइल के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप में मीठे पानी के आवासों का मूल निवासी है, जहां यह दलदल, झीलों, नदियों और कृत्रिम तालाबों में रहता है। राजस्थान में चम्बल नदी में इन दोनों ही जीवों की एक अच्छी आबादी पायी जाती है।

मछलियां खाने वाले ऊदबिलाव की तुलना में देखें तो मगरमच्छ निसंदेह एक खतरनाक शिकारी होता है परन्तु फिर भी मगरमच्छ संग इन ऊदबिलाव का व्यवहार बड़ा ही अजीब व दिलचस्प है। जिसे इस चित्र कथा में दर्शाया गया है तथा इस घटना को चम्बल नदी (कोटा) के किनारे पर शरद ऋतू की एक सुबह 11 बजे के आसपास दर्ज किया गया है।

सुबह की नर्म धुप में जब सभी मगरमच्छ पानी के आसपास चट्टानों पर लेटे हुए धुप सेक (Basking) रहे होते हैं उसी समय ऊदबिलाव भी धुप में यहाँ वहां घूमते व खेलते हैं।

और इसी बीच ये सभी ऊदबिलाव जानबूझ कर इन मगरमच्छों के आसपास घूमते हैं। कुछ ऊदबिलाव मुँह की तरफ तो कुछ पूँछ की तरफ खड़े हो जाते हैं और बारी बारी के मगरमछ को छूते हैं। जैसे ही मगरमच्छ आक्रामक होते है तो ऊदबिलाव तुरंत दूर भाग जाते हैं। ये सिलसिला यूँ ही चलता रहता है।

उदबिलावों के इस व्यवहार से कुछ छोटे मगरमच्छ तो जल्दी ही पानी में वापिस लौट जाते हैं तो कुछ पानी से काफी दूर चले जाते हैं।

उदबिलावों का यह व्यवहार कुछ अजीब सा ही है क्योंकि मगरमच्छ उनके लिए खतरनाक हो सकते है तथा एक झटके में उनको मार सकते हैं परन्तु फिर भी ये ऐसे खतरनाक शिकारी के आसपास घूम उसे परेशान करते हैं।

आखिर ये क्या है ? क्या ये मोब्बिंग है या फिर सिर्फ एक खेलने का तरीका ?

ऊदबिलाव और कुत्तों के बीच संघर्ष

ऊदबिलाव और कुत्तों के बीच संघर्ष

स्मूद कोटेड ओटर (Lutrogale perspicillata), एशिया में पाए जाने वाला सबसे बड़ा ऊदबिलाव जो नदी के स्वच्छ जल में निवास करते हैं। परन्तु आजकल वन क्षेत्रों के आसपास बढ़ती मानव आबादी के कारण आवारा कुत्तों की संख्या और इनके द्वारा न सिर्फ वन्यजीवों बल्कि जलीय स्तनधारियों पर भी हमले की घटनाएं भी बढ़ रही है क्योंकि उनका काफी समय किनारों पर धुप सेकते और खेलते हुए बीतता है तथा इनकी मांदे/गुफ़ा भी नदी के किनारे चट्टानों के पास ही होती है जहाँ ये बच्चे देते हैं। इसी बीच कई बार इन्हें कुत्तों के साथ मुठभेड़ का सामना करना पड़ता है ऐसी ही एक संघर्ष की घटना इस चित्र कथा में दर्शाई गई है।

चम्बल नदी में कुछ ऊदबिलाव नदी में मछलियों का शिकार कर उन्हें खा रहे थे। वहीँ दूसरी ओर किनारे पर दो कुत्ते आपस में खेल व भोंक रहे थे। कुत्तों की आवाज सुन कर ऊदबिलाव किनारे की तरफ जाने लगे।

जैसे ही वे किनारे पर पहुंचे उन कुत्तों ने ऊदबिलावों के ऊपर भोंकना व हमला करने की कोशिश शुरू कर दी। परन्तु ऊदबिलाव समझ रहे थे कि, कुत्ते पानी में नहीं आ सकते इसीलिए वे आसपास फ़ैल गए और कुत्ते इधर-उधर भाग कर परेशान होने लगे।

ऊदबिलावों और कुत्तों के बीच यह संघर्ष कुछ 10-15 मिनट तक चला और फिर वे वापिस नदी में चले गए।

कुत्तों के साथ भिड़ने से ऊदबिलाव घायल भी हो सकते है परन्तु फिर भी उनके पास जाना और ऐसा व्यवहार काफी दिलचस्प घटना है।