बाघों के जीवन के कुछ अनछुए पहलु

बाघों के जीवन के कुछ अनछुए पहलु

बाघों के मध्य होने वाले संघर्ष के बारे में तो सभी जानते हैं परन्तु कई बार कुछ तनाव की स्थिति में संघर्ष को टालते हुए देखा गया हैं जैसे कि, इस चित्र कथा में दर्शाया गया है।

एक शाम रणथम्भोर में एक बाघिन माँ (T19) ने अपने दो शावकों के साथ सांभर हिरन का शिकार किया और एक जल श्रोत के पास बैठ कर उसे खाया और फिर पानी पीकर वहीँ बैठ आराम करने लग गए। कुछ समय बाद वहाँ एक अन्य नर बाघ (T104) आया जिसे पानी पीना था।

काफी समय तक खड़े रहने के बाद नर बाघ वहीँ पास में लेट गया परन्तु बाघिन और उसके शावक, नर बाघ और अपने भोजन पर सतर्क नज़र रहे वहीँ बैठे रहे व पानी से बाहर नहीं निकले।

प्यास से व्याकुल बाघ कई बार कोशिश करता रहा पानी में जाने की परन्तु बाघिन और शावकों ने उसे डरा कर दूर कर दिया।

यह संघर्ष पूरी रात चला और प्यास से परेशान बाघ समझ चूका था कि, यहाँ उसे पानी नहीं मिलेगा इसीलिए अंत में वो वहां से चला गया और लगभग दो किमी दूर एक अन्य जल श्रोत पर जाकर उसने अपनी प्यास बुझाई।

बाघिन और उसके शावकों की सुरक्षा

बाघिन और उसके शावकों की सुरक्षा

बाघ हमेशा पानी में सावधानी से प्रवेश करता है क्योंकि पानी में अनजान खतरे हो सकते हैं।  यहाँ एक बाघिन अपने दो शावकों के साथ रणथम्भोर के एक तालाब के किनारे खड़ी होती है, जहाँ से उसे पानी के मध्य स्थित एक छोटे टापू पर जाना है।
तभी एक शावक छलांग लगा कर उस टापू पर पहुंच जाता है।
शावक को आगे जाता देखा उसकी सुरक्षा में बाघिन को भी उसके पीछे जाना पड़ता है, लेकिन तभी बाघिन को पानी में एक मगरमछ की झलक दिखाई देती है।
वो तुरंत शावकों को वापस जाने के लिए मोड़ लेती है। इस बार सबसे आगे बाघिन रहती है, परन्तु उसका पूरा ध्यान पीछे रहे उसके शावकों पर ही होता है।
माँ के पीछे शावक भी छलांग लगाते हैं पहला शावक पानी में गिर जाता है जिसे देख बाघिन चिंतित हो जाती है और परन्तु शावक तुरंत पानी से बाहर निकल जाता है।
दोनों शावक सही सलामत अपनी माँ तक पहुंच जाते हैं और वो तीनों वहां से चले जाते हैं।

 

सियार, उसका शिकार और सतर्कता

सियार, उसका शिकार और सतर्कता

रणथम्भोर के मुख्य बाघ क्षेत्र में जहाँ सिर्फ बाघों का दबदबा है में सियार (Golden Jackal) जैसे कुछ छोटे शिकारी बड़ी ही चतुराई और सतर्कता से रहते हैं। सियार मुख्यरूप से मरे हुए जानवरों को खाते हैं तो कई बार ये बाघ के शिकार में से भी कुछ हिस्सा चुरा लेते हैं। परन्तु बाघ के इलाके में उसका भोजन चुरा पाना बहुत मुश्किल और खतरनाक काम होता है। ऐसे में सियार छोटे जानवरों जैसे हिरन के बच्चों का शिकार कर लेता है।

अपनी जान और भोजन को बाघ से बचाने के लिए सियार अपने शिकार को उठा कर जल्द ही किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचने की कोशिश करता है।

इस दौरान सियार बहुत ही सतर्क रहता है जैसे ही चीतल की चेतावनी कॉल आती है सियार रुक कर आसपास देखता है की कहीं बाघ तो नहीं आ रहा है।

जब अपने वज़न के बराबर शिकार को लेकर भाग पाना सियार लिए मुश्किल होता है तो वह भोजन के बजाये अपनी जान को बचाते हुए शिकार को वहीँ छोड़ कर चला जाता है।

और कुछ समय बाद जब आसपास से बाघ का खतरा टल जाता है तो सियार तुरंत आकर अपना शिकार वहां से उठा ले जाता है।