राजस्थान एक सूखा क्षेत्र है परन्तु कुछ सुंदर दिखने वाले नम क्षेत्रों के अनोखे पौधे भी यदा कदा इधर उधर मिल जाते है। इसी तरह का एक खूबसूरत ऑर्किड – ईस्टर्न मार्श हेलेबोरिन (एपिपैक्टिस वेराट्रिफ़ोलिया- Epipactis veratrifolia) राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में मिलता है। इस के अलावा राजस्थान में यह कहीं और से अभी तक देखा नहीं गया है।  इस तरह के पौधे कैसे अपने लायक उपयुक्त स्थान तलाश लेते है एक शोध का विषय है । यद्यपि यह पूरे भारत में कई  अन्य स्थानों पर पाया जाता है। यह एक स्थलीय आर्किड है।

एपिपैक्टिस वेराट्रिफ़ोलिया, Epipactis veratrifolia

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में पाए जाने वाला ईस्टर्न मार्श हेलेबोरिन (Epipactis veratrifolia)

परन्तु इस ऑर्किड के परागण की प्रक्रिया अत्यंत रोचक है – यह होवरफ्लाइज़ नामक कीट को धोखा देकर परागण प्रक्रिया को संपादित करता है।
होवरफ्लाइज़ एक छोटी मक्खी नुमा कीट है जो फूलों के आस पास मंडराते है।  यह आर्किड इसके लिए एक रणनीति का उपयोग करते है जो अत्यंत जटिल है, यह एक अन्य कीट एफिड के अलार्म फेरोमोन की नकल करते हुए गंध को छोड़ते  है। यानी ऐसी गंध जो एफिड खतरे के समय छोड़ता है।

होवरफ्लाइज़, अपने लार्वा के लिए एफिड्स को भोजन के रूप में पसंद करते है। चूँकि यह ऑर्किड भी एफिड द्वारा छोड़ी गई अलार्म गंध के समान ही गंध छोड़ता है, तो मादा होवरफ्लाइज़ को आभास होता है की, कोई एफिड समूह ऑर्किड के फूल के पास है, और यह होवरफ्लाईस उस ओर आकर्षित होती हैं।

Hoverflies होवरफ्लाइज़

होवरफ्लाइज़ अनजाने में अपने अंडे इस ओर्किड के फूल को एफिड समझ कर फूल पर ही जमा कर देते हैं

ये होवरफ्लाइज़ अनजाने में अपने अंडे एफिड समझ कर इस आर्किड के फूल पर ही जमा कर देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अंडे से निकले उनके लार्वा का भूख से दुखद अंत होता है। हालांकि यह विश्वासघात न केवल होवरफ्लाइज़ के लिए जोखिम पैदा करता है बल्कि आर्किड के पौधे को भी खतरे में डालता है यदि वे अपने स्वयं के परागणकर्ताओं को ही मार देते हैं।

फिर ऐसा क्यों होता है ?

दिलचस्प बात यह है कि शोधकर्ताओं ने देखा है कि यह पौधा एफिड्स से मुक्त रहता है। नतीजतन, वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि ऑर्किड एक ऐसी गंध का उत्सर्जन करता है जो एफिड्स को उनसे दूर रखता है, अनजाने में स्वयं होवरफ्लाइज़ को धोखा देता है। अतः इसका पहला उद्देश्य है एफिड को दूर रखना और दूसरा स्वार्थ परागण करवाना अपने आप सिद्ध हो जाता है।

शायद आपने इतने कलिष्ट परागण प्रक्रिया को कभी नहीं सुना हो।