राजस्थान की मुख्य दुर्लभ वृक्ष प्रजातियां
दुर्लभ वृक्ष का अर्थ है वह वृक्ष प्रजाति जिसके सदस्यों की संख्या काफी कम हो एवं पर्याप्त समय तक छान-बीन करने पर भी वे बहुत कम दिखाई पड़ते हों उन्हें दुर्लभ वृक्ष की श्रेणी में रखा जा सकता है। किसी प्रजाति का दुर्लभ के रूप में मानना व जानना एक कठिन कार्य है।यह तभी संभव है जब हमें उस प्रजाति के सदस्यों की सही सही संख्या का ज्ञान हो। वैसे शाब्दिक अर्थ में कोई प्रजाति एक जिले या राज्य या देश में दुर्लभ हो सकती है लेकिन दूसरे जिले या राज्य या देश में हो सकता है उसकी अच्छी संख्या हो एवं वह दुर्लभ नहीं हो।किसी क्षेत्र में किसी प्रजाति के दुर्लभ होने के निम्न कारण हो सकते हैं:
1.प्रजाति संख्या में काफी कम हो एवं वितरण क्षेत्र काफी छोटा हो,
2.प्रजाति एंडेमिक हो,
3.प्रजाति अतिउपयोगी हो एवं निरंतर व अधिक दोहन से उसकी संख्या में तेज गिरावट आ गई हो,
4.प्रजाति की अंतिम वितरण सीमा उस जिले या राज्य या देश से गुजर रही हो,
5.प्रजाति का उद्भव काफी नया हो एवं उसे फैलने हेतु पर्याप्त समय नहीं मिला हो,
6.प्रजाति के बारे में पर्याप्त सूचनाएं उपलब्ध नहीं हो आदि-आदि।
इस लेख में राजस्थान राज्य के दुर्लभ वृक्षों में भी जो दुर्लभतम हैं तथा जिनकी संख्या राज्य में काफी कम है, उनकी जानकारी प्रस्तुत की गयी है।इन दुर्लभ वृक्ष प्रजातियों की संख्या का भी अनुमान प्रस्तुत किया गया है जो वर्ष 1980 से 2019 तक के प्रत्यक्ष वन भ्रमण,प्रेक्षण,उपलब्ध वैज्ञानिक साहित्य अवलोकन एवं वृक्ष अवलोककों(Tree Spotters), की सूचनाओं पर आधारित हैं।
अब तक उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर राजस्थान की अति दुर्लभ वृक्ष प्रजातियां निम्न हैं:
क्र. सं. | नाम प्रजाति | प्रकृति | कुल | फ्लोरा ऑफ राजस्थान (भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण अनुसार स्टेटस) | राज्य में संख्या अनुमान* | मुख्य वितरण क्षेत्र | वि. वि. |
1. | Borassus flabellifer, Asian Palmyra palm,ताड़ | वृक्ष | Arecaceae | दर्ज नहीं | A | बांसी (चित्तौड़गढ़), सलूम्बर, ऋषभदेव | वन्य एवं रोपित अवस्था में विद्यमान |
2. | Commiphora agallocha, (बड़ी गूगल) | छोटा वृक्ष | Burseraceae | दर्ज नहीं | B | भींडर (उदयपुर), कुंडाखोह (बारां), विजयपुर (चित्तौड़गढ़) | वन्य अवस्था में विद्यमान |
3. | Washingtonia robusta, Mexican Fan Palm | वृक्ष | Arecaceae | दर्ज नहीं | A | नागफणी (डूंगरपुर) वन भवन एवं गुलाबबाग,(उदयपुर) | वन्य एवं रोपित अवस्था में विद्यमान |
4. | Protium serratum | मध्यम आकार का वृक्ष | Burseraceae | दर्ज नहीं | A | कमलनाथ नाला (कमलनाथ वन खंड,उदयपुर) गौमुख के रास्ते पर(मा.आबू) | वन्य अवस्था में विद्यमान |
5. | Butea monosperma leutea पीला पलाश | मध्यम आकार का वृक्ष | Fabaceae | दर्ज नहीं | B | मुख्यतः दक्षिणी राजस्थान, बाघ परियोजना सरिस्का | वन्य अवस्था में विद्यमान |
6. | Celtis tetrandra | मध्यम आकार का वृक्ष | Ulmaceae | दुर्लभ के रूप में दर्ज | A | माउन्ट आबू (सिरोही), जरगा पर्वत (उदयपुर) | वन्य अवस्था में विद्यमान |
7. | Cochlospermum religisoum गिरनार, धोबी का कबाड़ा | छोटा वृक्ष | Lochlospermaceae | ‘अतिदुर्लभ’ के रूप में दर्ज | B | सीतामाता अभ्यारण्य, शाहबाद तहसील के वन क्षेत्र (बारां) | वन्य अवस्था में विद्यमान |
8. | Cordia crenata ,(एक प्रकार का गैंदा) | छोटा वृक्ष | Boraginaceae | ‘अतिदुर्लभ’ के रूप में दर्ज | पुख़्ता जानकारी उपलब्ध नहीं | मेरवाड़ा के पुराने जंगल, फुलवारी की नाल अभ्यारण्य | वन्य अवस्था में विद्यमान |
9. | Ehretia serrata सीला, छल्ला | मध्यम आकार का वृक्ष | Ehretiaceae | दुर्लभ के रूप में दर्ज | A | माउन्ट आबू (सिरोही), कुम्भलगढ़ अभयारण्य,जरगा पर्वत,गोगुन्दा, झाड़ोल,कोटड़ा तहसीलों के वन एवं कृषि क्षेत्र | वन्य एवं रोपित अवस्था में विद्यमान |
10. | Semecarpus anacardium, भिलावा | बड़ा वृक्ष | Anacardiaceae | फ्लोरा में शामिल लेकिन स्टेटस की पुख़्ता जानकारी नहीं | हाल के वर्षों में उपस्थित होने की कोई सूचना नहीं है | माउन्ट आबू (सिरोही) | वन्य अवस्था में ज्ञात था |
11. | Spondias pinnata, काटूक,आमण्डा | बड़ा वृक्ष | Anacardiaceae | दर्ज नहीं | संख्या संबधी पुख़्ता जानकारी नहीं | सिरोही जिले का गुजरात के बड़ा अम्बाजी क्षेत्र से सटा राजस्थान का वनक्षेत्र, शाहबाद तहसील के वन क्षेत्र (बारां) | वन्य अवस्था में विद्यमान |
12. | Antidesma ghaesembilla | मध्यम आकार का वृक्ष | Phyllanthaceae | दर्ज नहीं | A | रणथम्भौर बाघ परियोजना (सवाई माधोपुर) | वन्य अवस्था में विद्यमान |
13. | Erythrinasuberosasublobata | छोटा वृक्ष | Fabaceae | दर्ज नहीं | A | शाहबाद तहसील के वन क्षेत्र (बारां) | वन्य अवस्था में विद्यमान |
14. | Litsea glutinosa | मैदा लकड़ी | Lauraceae | दर्ज नहीं | A | रणथम्भौर बाघ परियोजना (सवाई माधोपुर) | वन्य अवस्था में विद्यमान |
(*गिनती पूर्ण विकसित वृक्षों पर आधारित है A=50 से कम,B=50 से 100)
उपरोक्त सारणी में दर्ज सभी वृक्ष प्रजातियां राज्य के भौगोलिक क्षेत्र में अति दुर्लभ तो हैं ही,बहुत कम जानी पहचानी भी हैं।यदि इनके बारे में और विश्वसनीय जानकारियां मिलें तो इनके स्टेटस का और भी सटीक मूल्यांकन किया जा सकता है।चूंकि इन प्रजातियों की संख्या काफी कम है अतः ये स्थानीय रूप से विलुप्त भी हो सकती हैं। वन विभाग को अपनी पौधशाला में इनके पौधे तैयार कर इनको इनके प्राकृतिक वितरण क्षेत्र में ही रोपण करना चाहिए ताकि इनका संरक्षण हो सके।