यह पुस्तक अभिक्रम शेखावत के 4 सालों के रणथम्भौर नेशनल पार्क व झालाना लेपर्ड पार्क के वन्यजीव फोटोग्राफी के अनुभव को साझा करती है | यह किताब इनके द्वारा लॉकडाउन समय के दौरान लिखी गयी व् 5 माह के अथक प्रयास के बाद बाजार में उपलब्ध है| इस किताब में रणथम्भौर के सभी वन्यजीवों का विस्तृत विवरण फोटोग्राफी के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया है व झालाना के सभी लेपर्ड का विस्तृत विवरण किया गया है |

PC: Mr. Abhikram Shekhawat

इस पुस्तक में टाइगर व लेपर्ड के व्यवहार व प्रततरूप को भी समायोजित किया गया है यह किताब झालाना व रणथम्भौर के वन्य जीवन के बारे में जानने व रुचि रखने वालों के लिए एक अच्छा दस्तावेज रहेगा|

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अभिक्रम शेखावत, 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र हैं जिनकी शिक्षा जेपीआईएस(जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल) जयपुर, में पढ़ने वाले छात्र हैं व 17 वर्षीय वन्यजीव फोटोग्राफर भी है |
वह 4 वर्ष की उम्र से ही वन्यजीवों के लिए उत्साहहत रहे हैं उन्हें प्रकृतत से ववशेर्षत रणथम्भौर नेशनल पाकक के वन्यजीवों से बहुत लगाव हो गया | समय के साथ-साथ फोटोग्राफी के प्रति उनका जूनून व्प्र उत्सुकता बढ़ती गयी और उन्होंने फोटोग्राफी प्रतियोगिताओ में भाग लेना शुरू कर दियाI

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उन्होंने “Junior Photographer of the year’ Nature’s Best Photography Asia 2020 से व Second Runner up Young Photographer श्रेणी में Nature In Focus Photography Awards 2020 से जीता है| इन्हें वन्य जीवों के साथ लगाव शुरू से ही रहा। इसकी शुरुआत रणथम्भौर की पहली यात्रा से हुई जब यह 3 वर्ष के थे| जब उन्होंने पहली बार एक टाइगर को बहुत ही कम दूरी से देखा तो यह नजारा देखकर आश्चर्यचकित रह गए| यह रणथम्भौर अभ्यारण्य की मछली (बाघिन) थी उस पल ने इन पर वन्यजीवों के प्रति उत्साह को और जागृत कर दिया| वह हर वर्ष वन्यजीवों व प्रकृति के प्रति अपनी जानने की जिज्ञासा को शांत करने के लिए झालाना व रणथम्भौर जाने लगे।

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जब अभिक्रम 13 वर्ष के थे तो उनके रिश्तेदार ने उन्हें झालाना की सफारी करवाई। जो की इनके लिए एक उपहार थी। वहा पर इन्होंने चार लेपर्ड को देखा व वन्यजीव फोटोग्राफी का आनंद लिया वह कुछ चुनिंदा तस्वीरों को अपने फोटो संग्रहालय के लिए संगृहीत किया। अभिक्रम ने और अधिक समय रणथम्भौर व झालाना अभ्यारण्य में बिताना शुरू किया। वन्यजीवों की फोटोग्राफी करते समय कई बार कई जगहों पर बहुत ही धैर्य पूर्वक समय व्यतीत करना पड़ता था फोटोग्राफी के दौरान टाइगर्स व लेपर्ड्स की प्रजातियों का उनके व्यवहार के बारे में उन्होंने अध्ययन किया है रणथम्भौर के टाइगर्स ने इन्हें हमेशा रोमांचित किया। इन्हें टाइगर्स की पौराणणक वंशावली और उनके व्यवहार के तरीकों के बारे में नजदीक से देखने में अपने कैमरे में कैद करने का अविस्मरणीय मौका मिला। इन्होंने झालाना के लेपर्ड्स के बारे में भी विस्तृत अध्ययन किया।

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“The Untamed” नामक बुक में इन्होंने वन्यजीवों विशेषकर टाइगर व लेपर्ड्स को फोटोग्राफी व लिखित वर्णन के माध्यम से उनके व्यवहार को दिखाने का प्रयास किया है।

 

 

Ms.Meenu Dhakad has worked with Tiger Watch as a conservation biologist after completing her Master's degree in the conservation of biodiversity. She is passionately involved with conservation education, research, and community in the Ranthambhore to conserve wildlife. She has been part of various research projects of Rajasthan Forest Department.