‘’प्रकृति की पुकार” पुस्तक एक अनुठी कृति है जो राजस्थान प्रशासनिक सेवा से जुड़े डॉ. सूरज सिंह नेगी एवम उनकी पत्नी वनस्थली विधापीठ में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मीना सिरोला द्वारा सम्पादित की गयी है यह पुस्तक एक अनुठी मुहीम से सृजित हुआ प्रतीफल है जैसा कि नाम से विदित है कि प्रकृति अपने कष्टो से आहत होकर जो की अपने पुत्र मानव को सहयता के लिए पुकार रही है |
इस पुस्तक में 118 पत्रों को प्रकाशित किया गया है | जिन्हें लेखन से जोड़े विभिन्न लोगो ने “पाती अपनो को मुहीम” के तहत संकलित किया गया है | “पाती अपनो को मुहीम” एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमे पत्र / पाती लेखन के विलुप्त होती परम्परा को जीवित रखने का प्रयास किया जा रहा है | आधुनिक दौर में जब लोग व्हाट्सएप, ईमेल, मैसेंजर आदि माध्यमो से सुचना प्रेषित करते है जिनमे भावनाओ से दूर मात्र सन्देश प्रेषित करना रह गया है | यह मुहीम डॉ. सूरज सिंह नेगी एवम उनकी पत्नी डॉ. मीना सिरोला द्वारा ही शुरू की गयी है |
प्रकृति की पुकार 336 पेज की पुस्तक है जिसमे मुख्यत: राजस्थान के लोगो ने प्रकृति बनकर मानव के लिए पत्र लिखे है परन्तु साथ ही मध्य प्रदेश , दिल्ली , उतराखंड , हरियाणा आदि से आये पत्रों को सम्मिलित किया गया है इन पत्रों में वनों के कटान , नदियों के प्रदुषण , हवा में घुलते धुएं के जहर ,विलुप्त होते प्राणियों,कंक्रीट के जंगल, शहरो एवं कस्बो के नजदीक खड़े हो रहे है प्लास्टिक व कचरे के ढेर पर जहां चिंता जाहिर की गयी है वही इनसे पैदा हुए मानव जीवन पर खतरे को उल्लेखित किया गया है यह पुस्तक पर्यावरण जागरूकता का एक बहुत बड़ा माध्यम बन सकती है इस पुस्तक से लोगो में जहां पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा की जा सकती है वही लोगो को पर्यावरण संरक्षण में शामिल किया जा सकता है | इस पुस्तक में लोगो के पत्रों में प्रकृति संरक्षण के उपायों पर चर्चा कम हुई है |
आशा है प्रक्रति संरक्षण के उपायों पर और अधिक सार्थक लेखन संभव हो सके | यह पुस्तक साहित्यागार जयपुर के द्वारा प्रकाशित की गई है जिसकी कीमत 500 रूपये है | आशा है कि आप सभी इस पुस्तक को पढने का प्रयास करेंगे |
Dr Suraj Singh Negi