किशोर गोह छिपकली पर बफ़ोटोक्सिन के प्रभाव
गोह छिपकली की एक अनजाने शिकार के कारण हुई आकस्मिक मौत …
जून की गर्मियों में, जुवेनाइल गोरैया की तलाश में मैं अक्सर अपने बगीचे में घूमा करता था। किसी एक रोज़ पानी की टंकी की ओर हलचल ने मेरा ध्यान आकर्षित किया, देखने पर मैने वहां एक जुवेनाइल गोह छिपकली को पाया। उसकी कोमल त्वचा हल्का पीलापन लिए हुए हरे रंग की थी। मेरी मौजूदगी से बेपरवाह उसने मुझे कुछ तसवीरें लेने दी, कुछ देर बाद मैं, उसे धूप सेंकते हुए छोड़ आया।
मैं उसे नियमित रूप से बगीचे में छोटे कीटों को खाते और टंकी की दीवार पर आराम करते हुए देखता था। समय के साथ वह बड़ी और मानव उपस्थिति के प्रति संवेदनशील हो रही थी।
देखते-देखते महीना बीता, जुलाई के आरंभ में मैने पाया कि उसके त्वचा में काफी परिवर्तन हुए हैं। उसकी त्वचा पहले जैसी कोमल न रही, और उसका रंग भी भूरेपन में बदल गया। शारीरिक बदलावों से परे उसकी दिनचर्या में कोई बदलाव ना आया।
फिर एक दिन मैंने उसे कुछ ऐसा करते देखा जो मैंने पिछले दिनों में कभी नही देखा था। वह गोह, एक एशियाई कॉमन टोड को निगलने की कोशिश कर रही थी। मैं जल्दी से अपना कैमरा लाया और उस पल को फ़ोटो और वीडियो के जरिये कैद करने लगा। वह छिपकली, टोड को पकड़ने में सफल हुई और उसे अपने मुँह में ले, एक बेलपत्र के पेड़ पर चढ़ गई। अपनी तस्वीरों से संतुष्ट मेने उसे जाने दिया।
अगले दिन, वह थोड़ा सुस्त दिखाई दी, ऐसा प्रतीत हो रहा मानो उसे लकवा मार गया हो, अंततः शाम को मोसम्मी के पेड़ के नीचे उसका मृत शरीर पाकर में हैरान हो गया। उसकी आकस्मिक मौत का कारण मैं समझ नही पा रहा था। इस संबंध में मैंने श्री अनिल त्रिपाठी से मदद ली, और उन्हें ये पूरा घटनाक्रम बताया। उन्होंने मुझे बताया कि टोड्स की आंखों के ऊपर पैरोटिड ग्रंथियां होती हैं, जब उनपर शिकारियों द्वारा हमला किया जाता है तो वे इन ग्रंथियों के माध्यम से बफ़ोटोक्सिन नामक एक विष का स्राव करते हैं। इसी रक्षा तंत्र के कारण ज्यादातर शिकारी इन पर हमला नहीं करते है। लेकिन मेरे निष्कर्ष के अनुसार किशोर गोह छिपकली को एशियाई कॉमन टॉड के इस रक्षा तंत्र के बारे में नहीं जानती थी। जैसा कि तस्वीरों में देखा जा सकता है छिपकली ने टोड को सिर की तरफ से निगलने की कोशिश की और टॉड ने उसके मुंह के अंदर विष डालना शुरू किया। संभवतः इसके कारण कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) हुआ और न्यूरल एक्टिविटी (neural activity) में रुकावट आई और फिर अंत में छिपकली की मौत हो गई।
नोट: यह फोटो स्टोरी सिर्फ मेरा अवलोकन है न कि वैज्ञानिक मूल्यांकन।