एक गीदड़ माँ, अपनी मांद से कुछ दूर ऊंचाई पर बैठ कर आसपास का नज़ारा देख रही थी और उसके पिल्ले नीचे मांद के पास खेल रहे थे। संभवतः माँ ऊपर बैठ कर आसपास किसी शिकार और अन्य गतिविधियों का जायज़ा ले रही थी। तभी, उसका एक पिल्ला वहां ऊपर जा पहुंचा।
उसके हाव भाव से लग रहा था कि जैसे, वह अपनी माँ से कुछ दूध या दुलार पाने के आशा में वहां आया था।
लेकिन माँ को पास में ही कुछ मानवीय गतिविधियां नज़र आ रही थी और उसने तुरंत अपने पिल्ले को मानों “इशारा” कर मांद में बाकी बच्चों के पास जाने का संकेत दिया। पिल्ला लौटते हुए बीच में रुका और वापिस लौट कर माँ के पास आ गया।
संकेत देने के बाद भी पिल्ला वापिस नहीं लौटा यह देख माँ को तेज़ गुस्सा आया और उसने पिल्ले को ज़ोर से डराया।
माँ का गुस्सा देख पिल्ला समझ चुका था कि, उसे तुरंत वहां से लौट जाना चाइये और वह तुरंत मांद में लौट गया।
यह पूरी घटना कुछ ऐसी लगती है जैसे माँ अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए न सिर्फ आसपास होने वाली गतिविधियों का ध्यान रखती है बल्कि अपनी अनुमति के बिना पिल्लों को कहीं भी आने-जाने नहीं देती है मुख्यरूप से मनुष्यों के सामने।