गहरे हरे रंग के पन्ने की मानिंद चमकीले यह ततैये बड़े झींगुरों (Cricket) को अपने विशेष विष से ज़ोंबी (Zombie) के समान बनाकर अपने गुफा नुमा घर में ले जाते हैं। जहाँ झींगुरो का शरीर कई दिनों तक जिन्दा रहता हैं एवं यह ततैये के लार्वे के लिए ताजा भोजन का स्त्रोत बनता हैं।
असल में जब यह इन झिंगरो का संग्रहण करता हैं, तब तक ततैये के लार्वे तो छोड़िये, अंडे भी उसने नहीं दिए होते हैं। यह इन झींगुरों के शरीर पर ही अंडे डाल देता हैं, और जब कुछ समय बाद यह अंडो में से लार्वे निकलते हैं, उन्हें झींगुर के रूप में तैयार भोजन मिलता हैं।
यह ततैये JEWEL WASP (Ampulex sp) कहलाते हैं। इन ततैयों का विष इस प्रकार काम करता हैं कि, झींगुर का तंत्रिका तंत्र पूरी तरह ततैये के प्लान का हिस्सा बन जाता हैं।
आप इसके विष के असर की सूक्ष्मता को ऐसे समझ सकते हैं कि, झींगुर के मस्तिष्क को विषदंश होने के पश्च्यात वह स्वयं के शरीर को अपने आगे के पैरों से साफ करने लगता है। यह सफाई उसे फफूदी एवं अन्य हानिकारक बीमारियों से रहित बना देती हैं जो ततैये के लार्वा के भविष्य लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। साफ सुथरा जिन्दा भोजन अब ततैये द्वारा एक नए खोजे हुए घर में लेजा कर अंडा देकर रख दिया जाता है।
ततैये द्वारा झींगुर को कई बार अलग-अलग दंश दिये जाता हैं एवं प्रत्येक बार विभिन्न प्रकार के रसायन छोड़े जाते हैं जो झींगुर पर अलग-अलग तरह से असर करते हैं।
एक जीवन दूसरे जीवन पर किस प्रकार निर्भर रहता हैं, यह हमें भले ही साधारण लगे परन्तु यह वास्तव में एक अत्यंत कलिष्ट प्रक्रिया का हिस्सा होता है।
धर्मेंद्र जी जय विविधता के इस इकोसिस्टम में इंटरडिपेंडेंसी और इंटर रिलेशन किस प्रकार काम करते हैं प्रकृति में एक जीव दूसरे जीव के जीवन के लिए काम आता है सर्वाइकल फिटेस्ट और सर्वाइवल डिपेंडेंसी प्रकृति के नियम है आपने बेहतर तरीके से बता दिया है