बाघों के मध्य होने वाले संघर्ष के बारे में तो सभी जानते हैं परन्तु कई बार कुछ तनाव की स्थिति में संघर्ष को टालते हुए देखा गया हैं जैसे कि, इस चित्र कथा में दर्शाया गया है।

एक शाम रणथम्भोर में एक बाघिन माँ (T19) ने अपने दो शावकों के साथ सांभर हिरन का शिकार किया और एक जल श्रोत के पास बैठ कर उसे खाया और फिर पानी पीकर वहीँ बैठ आराम करने लग गए। कुछ समय बाद वहाँ एक अन्य नर बाघ (T104) आया जिसे पानी पीना था।

काफी समय तक खड़े रहने के बाद नर बाघ वहीँ पास में लेट गया परन्तु बाघिन और उसके शावक, नर बाघ और अपने भोजन पर सतर्क नज़र रहे वहीँ बैठे रहे व पानी से बाहर नहीं निकले।

प्यास से व्याकुल बाघ कई बार कोशिश करता रहा पानी में जाने की परन्तु बाघिन और शावकों ने उसे डरा कर दूर कर दिया।

यह संघर्ष पूरी रात चला और प्यास से परेशान बाघ समझ चूका था कि, यहाँ उसे पानी नहीं मिलेगा इसीलिए अंत में वो वहां से चला गया और लगभग दो किमी दूर एक अन्य जल श्रोत पर जाकर उसने अपनी प्यास बुझाई।