राजस्थान में जंगली मुर्गे (Grey Jungle Fowl) का वितरण
राजस्थान के जंगली मुर्गे (Grey Jungle fowl Gallus sonneratii) पर अग्रवाल (1978,1979), अनाम (2010), अली एवं रिप्ले (1983), ओझा (1998), सहगल (1970), शर्मा (1998, 2007, 2017), तहसीन एवं तहसीन (1990) के अध्ययन का अवलोकन करने पर इस मुर्गे पर अच्छी जानकारी मिलती है लेकिन वितरण संबंधी पूर्ण ज्ञान अनुपलब्ध है। प्रस्तुत लेख में इस प्रजाति के वितरण संबंधी जानकारी को समाहित किया गया है। जंगलीे मुर्गे की राजस्थान के विभिन्न जिलों के भिन्न – भिन्न क्षेत्रों में उपस्थिति को जाँचने हेतु उपलब्ध वैज्ञानिक साहित्य का अध्ययन किया गया एवं सर्वे के द्वारा प्राथमिक तथ्य संग्रहीत किये गये। वितरण संबंधी उपलब्ध सूचनाएं सारणी 1 में प्रदर्शित की गई हैं।
सारिणी – 1: ग्रे जंगल फाउल का राजस्थान में वितरण
क्र.सं. | जिला | स्थान | वर्तमान में उपस्थिति | सन्दर्भ |
1 | उदयपुर | लादन वन क्षेत्र | उपस्थित | तहसीन एवं तहसीन (1990), शर्मा (2007, 2017) |
फुलवारी अभयारण्य, रामकुण्डा, तिनसारा, धरियावद, मानसी वाकल नदी के गुजरात सीमा तक किनारे, तोरना वन खण्ड | उपस्थित | शर्मा (2007, 2017), श्री रजा तहसीन (निजी वर्तालाप 2005) | ||
पई, डोडावली, देवास, कर्नावली, उभेश्वर (उबेश्वर), नाल मोखी, ओगना, साण्डोल की नाल, सूरजबारा (पडावली के पास), खैरवाडा, बेडावल (सलुम्बर के पास), कोडियात, मोरवानिया, पुराना श्रीनाथ (घसियार), कुण्डेश्वर, दडीसा, अगदा, पागा, वनक्षेत्र, जामुडिया (जामुनिया) की नाल, गोगुन्दा (मजार के पास), खैरवाडा, धरियावद | वर्ष 1960 तक उपस्थित, वर्तमान में अनुपस्थित | श्री रजा तहसीन (निजी वर्तालाप 2005), शर्मा (2007, 2017) | ||
2 | उदयपुर, पाली, राजसमंद | कुंभलगढ़ अभयारण्य | उपस्थित | शर्मा (2007, 2017) |
3 | पाली, राजसमंद, अजमेर | टॉडगढ़ -रावली अभयारण्य (कालीघाटी भीलबेरी व काबरदाता क्षेत्र में अधिक दिखते हैं) | उपस्थित | शर्मा (2007, 2017)़ |
4 | सिरोही | माउन्ट आबू | उपस्थित | सिंह एवं सिंह(1995) |
अग्नेश्वर मंदिर (देलवाडा से 2 किमी. पश्चिम में) | उपस्थित | शर्मा (2007, 2017) | ||
रेवदर, नीमाज, रव्वा बड़वज वन क्षेत्र | 1961 तक उपस्थित, वर्तमान में नहीं | डॉ . रजा तहसीन (निजी वार्तालाप 2005), शर्मा (2007, 2017) | ||
मोरस वन क्षेत्र | 1970 तक उपस्थित, अब अनुपस्थित | डॉ . रजा तहसीन (निजी वार्तालाप 2005) | ||
5 | उदयपुर, चित्तौड़गढ़ एवं प्रतापगढ़ | लव-कुश आश्रम, वाल्मिकी आश्रम (सीतामाता अभयारण्य) | उपस्थिति | शर्मा (2007 2017), श्री. पी. सी. जैन उपवन संरक्षक (निजी वार्तालाप 2016), श्री मनोज पराशर उपवन संरक्षक (निजी वार्तालाप 2009) |
6 | चित्तौडगढ़ | बस्सी | 1970 तक उपस्थित लेकिन अब अनुपस्थित | ठाकुर विजय सिंह राव (निजी वार्तालाप 2014), मेजर दुर्गा दास (निजी 7वार्तालाप 2016), |
7 | बाँसवाड़ा | बाँसवाडा जिले के विभिन्न वन क्षेत्र | प्रजाति पहले विद्यमान थी, लेकिन अब अनुपस्थित | ओझा (1998), सहगल (1970), डॉ . दीपक द्विवेदी (निजी वार्तालाप 2015) |
8 | डूंगरपुर | बीछीवाड़ा | 1970 तक उपस्थित लेकिन अब अनुपस्थित | महारावल श्री समरसिंह (निजी वार्तालाप 2005) |
9 | प्रतापगढ़ | सीतामाता अभयारण्य के क्षेत्रों के अलावा अन्य वन क्षेत्र | 1970 तक सभी जगह उपस्थित लेकिन अब केवल सीतामाता अभयारण्य में उपस्थित | श्री रजा तहसीन (निजी वार्तालाप 2005), शर्मा (2007, 2017) |
10 | राजसमन्द | कटार, बरवाडा | 1970 तक पश्चिमी ढाल के वनों में उपस्थित (पूर्वी ढाल में तत्समय नहीं थे)। वर्तमान में अनुपस्थित | श्री रजा तहसीन (निजी वार्तालाप 2005), शर्मा (2007, 2017) |
उपरोक्त सारणी की सूचनाओं से स्पष्ट है कि जंगली मुर्गे का वितरण क्षेत्र 1960 से 2020 तक गत 60 वर्षो में राजस्थान में काफी कम हुआ है (चित्र 1)। यह प्रजाति मुख्यतः दक्षिणी राजस्थान के सघन वनों में ही निवास करती पाई जाती है । शिकार, आवास विनाश, गर्मी की ऋतु में अग्नि घटनाऐं, वनों एवं वनों के पास रहने वालेे लोगों द्वारा अण्डों को उठाने जैसे कारणों से इस मुर्गे की संख्या में कमी आई है। यह प्रजाति भूमि पर अण्डे देती है एवं आग की घटना के कारण अण्डे तथा बहुत छोटे चूजे जो उडने में असमर्थ होते हैं आग की चपेट में आ जाते हैं।
आवास सुरक्षा, शिकार पर प्रभावी अंकुश, अग्नि घटनाओं की प्रभावी रोकथाम, पेयजल व्यवस्था, जन जागरण आदि जैसे उपाय कर इस प्रजाति को संरक्षित किया जा सकता है।
संन्दर्भ:
- अग्रवाल, बी. डी. (1978) गजेटियर ऑफ़ इन्डिया, राजस्थान सीकर।
- अग्रवाल, बी. डी. (1979) गजेटियर ऑफ़ इन्डिया, राजस्थान उदयपुर।
- अनाम (2010) असेसमेन्ट ऑफ़ बायोडाईवर्सिटी इन सीतामाता वाइल्ड लाईफ सैंक्चुरी: ए कन्जर्वेशन पर्सपैक्टिव, फाउंडेशन फाॅर ईकोलोजिकल सिक्युरीटी आंनद।
- अली, एस. एवं रिप्ले, एस. डी. (1983) हैण्ड बुक ऑफ़ द बर्ड्स ऑफ़ इन्डिया एण्ड पाकिस्तान (काॅम्पेक्ट एडीशन)।
- ओझा, जी. एच. (1998) बाँसवाड़ा राज्य का इतिहास (प्रथम 1936 में प्रकाशित), प्रिन्ट 1998, राजस्थान ग्रन्थालय, जोधपुर।
- सहगल, के. के. (1970) गजेटियर ऑफ़ चित्तौडगढ़, राजपत्र निदेशालय, राजस्थान सरकार।
- शर्मा, एस. के. (1998) लोक प्राणी विज्ञान, हिमांशु पब्लिकेशन्स, उदयपुर एवं दिल्ली।
- शर्मा, एस. के. (2007) स्टडी ऑफ़ बायोडायवर्सिटी एण्ड एथनोबायोलाॅजी ऑफ़ फुलवारी वाईल्ड लाइफ सैंक्चुरी, उदयपुर (राजस्थान)। पी एच. डी. थीसिस। वनस्पति विज्ञान विभाग, मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर।
- शर्मा, एस. के. (2017) राजस्थान में जंगली मुर्गों का वितरणः एक अध्ययन, अनुसंधान (विज्ञान शोध पत्रिका) 5 (1) 1-9
- तहसीन, आर. एवं तहसीन, एफ. (1990) जंगल कैट फैलिस चाउस एण्ड गे्र जंगल फाउल गैलस सोनेरेटाई। जे. बी. एन. एच. एस. खण्ड – 87 (1):144