लेखक: प्रवीण सिंह, धर्म सिंह गुर्जर, एवं डॉ धर्मेंद्र खांडल 

‘दोंगड़े’ — राजस्थान में अप्रैल-मई की शुरुआत में अचानक और अल्पकालिक रूप से होने वाली यह वर्षा — स्थानीय पारिस्थितिकी के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत होती है, जो कई जीवों के जीवनचक्र को सक्रिय कर देती है।

हमें अक्सर अपने बगीचे या घर के आसपास जब कोई रंग-बिरंगी तितली उड़ती दिखती है, तो मन अपने आप आनंदित हो उठता है। अब ज़रा कल्पना कीजिए — जब ऐसी ही एक प्रजाति की तितली सैकड़ों-हजारों की संख्या में, एक साथ दिखाई दे — तो वह दृश्य कैसा अद्भुत होगा!

कुछ ऐसा ही दृश्य हर साल रणथंभौर के सीमावर्ती क्षेत्रों के आस पास देखने को मिलता है। जिसे हमने शेरपुर और खिलचीपुर के गोचर भूमि में देखा। यहाँ खुली ज़मीन पर, कैर और हींश की झाड़ियों और ज़मीन पर उगे छोटे छोटे जंगली फूलों के बीच सफेद-पीली तितलियों की लहरें एकाएक दिखाई देने लगती हैं। इनके पंखों के सिरों पर काले धब्बे और काली धारियां साफ दिखाई देती हैं। नर तितलियाँ सामान्यतः फीकी रंगत वाली (हल्की पीली) और साफ-सुथरी धारियों वाली होती हैं। मादा तितलियों के अगले पंखों पर काले पैटर्न अधिक स्पष्ट होते हैं और वे आकार में थोड़ी बड़ी भी होती हैं। हाँ, मादा बड़ी होती है – क्योंकि उन्हें अपने पेट में अंडे जो पालने होते है। (Smetacek, 2012) यह नज़ारा यहाँ लगभग एक-डेढ़ महीने तक देखने को मिलता है।

pioneer, caper white, butterfly feeding nectar from Oligochaeta ramose

पायनियर तितली सबसे अधिक ब्रह्म डंडी (Oligochaeta ramose) के पुष्प पर गई (फ़ोटो: प्रवीण)

ये हैं पायनियर तितलियाँ (Belenois aurota), जिन्हें ‘कैपर व्हाइट’ भी कहा जाता है। एकाएक इनकी संख्या इतनी अधिक हो जाती है कि लगभग हर झाड़ी पर सिर्फ एक ही प्रजाति की तितलियाँ दिखाई देती है। हमारे द्वारा एक 10×10 वर्ग मीटर के क्षेत्र में की गई इनकी गिनती में हमें 500 से 1000 तितलियाँ मौजूद मिली थी। यह असाधारण दृश्य यहाँ हर साल देखने को मिलता है।

कहाँ से आती हैं ये तितलियाँ?

प्रश्न उठता है — ये तितलियाँ इतनी बड़ी संख्या में अचानक आती कहाँ से हैं? क्या ये दूरदराज़ से प्रवास करके आती हैं, जैसा कि ब्रिटिश काल के कीटविज्ञानी मूर (1890s) और बिंघम (1905) ने उल्लेख किया? या यह उनके जीवन चक्र की स्थानीय पुनरावृत्ति है?

हमारा मानना है की शायद ये तितलियाँ प्रवासी नहीं, बल्कि यहीं की निवासी हैं, जो अप्रैल  माह की पहली बारिश के साथ ही अपने छिपे हुए जीवन से बाहर आती हैं, और अचानक प्रकट हो जाती हैं। यानी इस समय अपने प्यूपा से बाहर निकल कर यह जीवन के एक नए रूप को धारण करती है। 

pioneer, caper white, butterfly feeding nectar from Convolvulus prostratus

एक नजर में देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि सफेद फूलों वाला संतरी (Convolvulus prostratus) इस क्षेत्र में सबसे अधिक मात्रा में उपलब्ध है। फ़ोटो: डॉ धर्मेन्द्र खांडल 

इतिहास के पन्नों से

ब्रिटिश भारत में कार्यरत फ्रेडरिक मूर ने अपनी श्रृंखला “Lepidoptera Indica में पहली बार इस तितली का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने यह ध्यान दिया कि ये मानसून के बाद एकाएक प्रकट होती हैं और कैपेरिस के पौधों के पास मंडराती हैं। बाद में चार्ल्स बिंघम ने इनके विशाल झुंडों की दिशा — दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व — का वर्णन किया, जो की उनके अनुसार मानसून के समानांतर चलती प्रतीत होती थी।

जो हमने देखा

आजकल, मूर और बिंघम के वर्णन के विपरीत, हमने इन तितलियों को मानसून में नहीं देखकर इन्हें अप्रैल माह में होने वाली बारिश के बाद कैर और हींश की झाड़ियों और ज़मीन पर उगे छोटे छोटे फूलों के आस-पास बहुतायत में देखा है। हींश की झाड़ी पर तो 100-150 तितलियाँ दिखाई दे जाती है। अप्रैल- मई के समय होने वाली बारिश को स्थानीय भाषा में दोंगड़े कहा जाता है, हम सब जानते है की गर्मी के बाद में आने वाली बारिश को मानसून कहते है, वहीं ठंड में आने वाली बारिश को मावठ कहते है। दोंगड़े जो अचानक और अनिश्चित रूप से आ जाती है। यद्यपि इसका समय काल अत्यंत लघु होता है, एक या दो बारिश में यह सिमट जाता है। यह संक्षिप्त लेकिन गर्मी के मौसम में प्राणियों के लिए एक अचानक से भोजन की बहुतायत और सुखद मौसम लाने वाली जीवनदायी वर्षा अनेक प्राणियों के लिए यह वरदान और पायनियर तितली के जीवन की कुंजी है।

पायनियर तितलियों का जीवन चक्र खासतौर पर कैपरेसी कुल (Capparaceae) के पौधों से जुड़ा हुआ है। इनके मुख्य लारवल होस्ट प्लांट हींश (Capparis sepiaria) और कैर (Capparis decidua) हैं (Arora & Mondal, 1981) इस क्षेत्र में इनकी उपस्थिति विशेष रूप से इन दोनों झाड़ियों पर अधिकतम पाई गई और यही वे पौधे हैं जिन्हें ये तितलियाँ अंडे देने के लिए चुनती हैं।

पायनियर तितली शारीरिक रूप से नाजुक और गर्मी सहने में असक्षम होती है। दिन में प्रातः काल से सुबह लगभग 9 बजे तक ही यह सक्रिय रह पाती है इसके बाद होने वाली तेज धूप में यह झाड़ियों के नीचे छुप कर रहने लगती है। हालाँकि इनकी उड़ान तेज होती है परन्तु थोड़ी दूरी की होती है — साथ ही नीचे-नीचे, फुर्तीली लहरों में यह विचरण करती है। ये अधिकतर अपने होस्ट प्लांट या फूलों के इर्द-गिर्द मंडराती हैं, जिससे इनके लंबी दूरी की उड़ान की संभावना न के बराबर ही है। साथ ही रेगिस्तान में अप्रैल में स्थान विशेष पर होने वाले दोंगड़े वर्षा पूरे क्षेत्र को तितली के लिए अनुकूल नहीं बनाते है, ताकि यह प्रवर्जन के लिए दूर तक जा सके।

इन्ही बातों के आधार पर हमने यह अनुमान लगाया गया कि ये तितलियाँ यहाँ की स्थानीय हैं जो यहीं पैदा होती हैं और यहीं अपना जीवन चक्र पूर्ण करते हुए अगली पीढ़ी को जन्म देती हैं।

पायनियर तितली के जीवन चक्र के विभिन्न चरण (फ़ोटो: प्रवीण)

विस्तार में व्यवहार

वैज्ञानिकों का मानना है कि ये विशेष रूप से चौड़े और खुले आकार वाले फूलों से रस लेना पसंद करती है। सामान्यतः इसे त्रिडैक्स डेज़ी (Tridax procumbens), लैंटाना (Lantana camara), आक (Calotropis) और बेर (Ziziphus) के फूलों पर देखा गया है (Kunte, 2000; Kunte et al., 2021)

लेकिन रणथंभौर क्षेत्र में प्रातःकालीन समय के हमारे व्यवस्थित अध्ययन में यह तितली कुछ अन्य स्थानीय वनस्पतियों से रस लेती देखी गई – और वह भी सूरज की पहली किरणों के साथ!

एक नजर में देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि सफेद फूलों वाला संतरी (Convolvulus prostratus) इस क्षेत्र में सबसे अधिक मात्रा में उपलब्ध है — खुले मैदानों में बिखरा हुआ तथा  व्यापक रूप से फैला हुआ पुष्पों मानो इसका मुख्य नेक्टरिंग पौधा है। लेकिन जब हमने 10×10 वर्ग मीटर के प्लॉट में पुष्पों की संख्या गिनी, तो सबसे अधिक पुष्प ब्रह्म डंडी (Oligochaeta ramose) के पाए गए — लगभग 500 फूल, जो कि इस तितली की पहली पसंद साबित हुए। इसके बाद त्रिनाड़ी (Lepidagathis trinervis) के लगभग 300 पुष्प और संतरी के केवल 100 पुष्प दर्ज किए गए।

इन तीन प्रमुख पुष्पों के अतिरिक्त, पायनियर तितलियाँ कुछ और स्थानीय वनस्पतियों से भी रस लेती देखी गईं:

  • Echinops echinatus (गोल कांटेदार फूल)
  • Argemone mexicana (सत्यानाशी)
  • Evolvulus alsinoides (विष्णुकांत)
  • Solanum xanthocarpum (कांटे वाला बैंगन) और
  • Launaea procumbens (पाथरी)

पायोनीर तितली अलग-अलग फूलों से रसपान करते हुए (ब्रह्म डंडी, संतरी, खून-रोकनी, और ऊंट-कंटेली) (फ़ोटो: डॉ धर्मेन्द्र खांडल, प्रवीण)

ये तितलियाँ दिन की शुरुआत बहुत जल्दी कर देती हैं। भोर में लगभग 6:00 बजे से ही इनकी गतिविधियाँ प्रारंभ हो जाती हैं। शुरुआत में ये तितलियाँ ब्रह्म डंडी के फूलों पर जाती हैं, फिर 7:00 बजे के बाद संतरी के नए खिले फूलों पर जिनका रंग अभी भी थोड़ा बैंगनी था और पूर्ण सफेद नहीं हुआ था, और इसके बाद अन्य उपलब्ध पुष्पों की ओर आकर्षित होती हैं।

सुबह 8:30 से 9:30 के बीच, अधिकांश तितलियाँ कैर, हींस और बेर की झाड़ियों के पास खुले स्थानों में तथा संतरी के फूलों पर पंख फैलाकर धूप सेंकती देखी जाती हैं। यह धूप सेंकना तापमान संतुलन बनाए रखने के लिए एक सामान्य और महत्वपूर्ण व्यवहार है।

इनका प्रजनन व्यवहार भी सुबह के समय, कम तापमान के दौरान ही शुरू होता है, और सामान्यतः दो घंटे तक सक्रिय रहता है। यह अवधि प्रायः 6:00 से 8:00 बजे के बीच होती है। इसके बाद, लगभग 10:00 बजे तक इनकी गतिविधियाँ लगभग समाप्त हो जाती हैं।

दोपहर के समय, अधिकांश तितलियाँ कैर और बेर जैसी झाड़ियों की छाया में विश्राम करती हुई दिखाई देती हैं। हालांकि कुछ तितलियाँ दिनभर उड़ती भी रहती हैं, परंतु गतिविधि में स्पष्ट वृद्धि शाम 4:00 बजे के आसपास पुनः देखी जाती है। रात्रि में यह तितली झाड़ी के पूर्वी हिस्से में आराम करती है ताकि पश्चिम में छिपते सूरज की गर्मी इन्हें झेलनी नहीं पड़े और सुबह का उगता सूरज इन शीतरक्त कीटो को शीघ्र इतना गर्म करदे की यह सुबह सुबह अपना कार्य प्रारंभ कर सके।

शाम के समय ज्यादातर तितलियाँ प्रायः उड़ान में व्यस्त रहती हैं, जबकि कुछ मादाएँ होस्ट प्लांट पर स्थिर बैठी हुई, पंख फैलाकर नर के संपर्क का इंतजार करती देखी जाती हैं। इस दौरान, जब भी मादा अपने आसपास किसी अन्य तितली की हलचल महसूस करती है, तो वह अपना उदर (abdomen) ऊपर की ओर उठा लेती है—एक नजर में हमने इस व्यवहार को यौन संकेत या जोड़े के चयन से जुड़ा माना।

बाद में हमने पाया कि यह “उदर उठाने” का व्यवहार प्रजनन संकेत होता है। संभोग के बाद मादा तितली ऐसा करके यह संकेत देती है कि वह पुनः संकरण के लिए तैयार नहीं है, जिससे वह अनचाहे प्रयासों से बच पाती है।

belenois aurota abdomen lifting

संभोग के बाद मादा पायनियर तितली अपना उदर ऊपर उठा लेती है — यह एक स्पष्ट संकेत होता है कि वह अब दोबारा संकरण के लिए तैयार नहीं है। (फ़ोटो: प्रवीण)

वैज्ञानिकों का यह भी मानना है की मादा तितली अपने जीवन चक्र की अगली पीढ़ी को सुनिश्चित करने के लिए, होस्ट प्लांट की पत्तियों की निचली सतह पर एकल या छोटे समूहों में अंडे देती है। ये अंडे अंडाकार, सीध में खड़े, हल्के क्रीम या पीले रंग के होते हैं जिन पर महीन रेखाएँ या खांचे स्पष्ट दिखते हैं (Sharma & Khan, 2022) आमतौर पर ये अंडे एक ही पत्ती की छाया में दिए जाते हैं ताकि अधिकतम सुरक्षा मिल सके और आद्र्रता बनी रहे।

लेकिन हमने पाया की सभी अंडे पत्तों की ऊपरी सतह पर ही दिए गए हैं, यहाँ हमने यह भी पाया की ज्यादातर अंडे दोनों किनारो से हल्की सी घुमाव वाली पत्तियों पर ही दिए गए हैं।

इस प्रक्रिया के दौरान नर तितलियाँ ‘मेट गार्डिंग’ करते देखी गई हैं — यानी संभोग के बाद वे मादा के पास रहकर उसकी रक्षा करते हैं ताकि अन्य नर तितलियाँ दोबारा संकरण का प्रयास न कर सकें। अक्सर आने वाले नर तितली को दूर भागते रहते है।

पायनियर तितली पारिस्थितिक रूप से एक दोहरी भूमिका निभाती है — एक ओर यह मौसमी वनस्पतियों, केर और हींश की पत्तियों पर अंडे देकर अपने जीवन चक्र को पूरा करती है, तो दूसरी ओर इसकी बड़ी संख्या में उपस्थिति इन पौधों के लिए एक दबाव उत्पन्न करती है। यह कैपरेसी कुल की झाड़ियों की बड़ी मात्रा में पत्तियाँ खा जाती है।

belenois aurota eggs

पायनियर तितली सामान्यतः अंडे पत्तियों की ऊपरी सतह पर देती है, और विशेष रूप से ऐसी पत्तियाँ चुनती है जो दोनों किनारों से हल्के रूप से मुड़ी हुई होती हैं। (फ़ोटो: प्रवीण)

हालाँकि, इसी संदर्भ में यह तितली अन्य जीवों के लिए भी संसाधन बन जाती है। रणथम्भौर क्षेत्र में हमारे अवलोकनों में एक विशेष जैविक अंतर्क्रिया सामने आई — यहाँ की कुछ सामाजिक मकड़ियाँ (social spiders) विशेष रूप से पायनियर तितलियों को शिकार के रूप में चुनती हैं। ये मकड़ियाँ अपने जाले या घोंसले अक्सर केर या हींश की झाड़ियों के पास या ऊपर बनाती हैं — यह एक अत्यंत चतुर रणनीति प्रतीत होती है, क्योंकि ये झाड़ियाँ पायनियर तितलियों की प्रमुख होस्ट प्लांट हैं। इन जालों में हमने एक समय में दर्जनों से लेकर सैकड़ों तक पायनियर तितलियों को फंसा हुआ पाया — जो इस बात का प्रमाण है कि यह तितली न केवल परागण जैसी पारिस्थितिक सेवाओं में भागीदार है, बल्कि खाद्य शृंखला में एक महत्त्वपूर्ण कड़ी भी है। यह अंतर्क्रिया जैव विविधता के स्तर पर शिकारी-शिकार संबंधों की जटिलता को दर्शाती है, और तितलियों की अत्यधिक उपस्थिति अन्य जीवों के जीवन चक्र को भी प्रभावित कर सकती है।

belenois aurota social spider interaction

हमने पाया की सोशल स्पाइडर यहाँ केर या हींश की झाड़ियों पर अपने जाले बनाती हैं — जहाँ वे एक ही जाल में सैकड़ों पायोनीर तितलियों को फंसा लेती हैं ।  (फ़ोटो: प्रवीण)

 हमारे अवलोकनों और इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी को देखते हुए, यह संभावना अधिक प्रबल प्रतीत होती है कि पायनियर तितली एक स्थानीय निवासी प्रजाति है, जो क्षेत्रीय जलवायु संकेतों के अनुसार प्रतिवर्ष पुनः प्रकट होती है — विशेष रूप से अप्रैल-मई की पहली वर्षा दोंगड़ेके बाद।

यह तितली न केवल हमारे मौसमीय चक्रों की संवेदनशील दूत है, बल्कि पारिस्थितिकी में विविध और कभी-कभी उलझी हुई भूमिकाओं में भी सक्रिय है — एक परागक, एक कीट, और कई शिकारी प्रजातियों के लिए पोषण का स्रोत। जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग के बदलते पैटर्न के संदर्भ में, पायनियर जैसी तितलियों का दस्तावेज़ीकरण, उनकी जनसंख्या गतिशीलता और अंतर्संबंधों को समझना आज पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है। शायद इसी में भविष्य की पारिस्थितिक स्थिरता की कुंजी छुपी हो।

Cover Image: Dr Dharmendra Khandal