बाघों के मध्य होने वाले संघर्ष के बारे में तो सभी जानते हैं परन्तु कई बार कुछ तनाव की स्थिति में संघर्ष को टालते हुए देखा गया हैं जैसे कि, इस चित्र कथा में दर्शाया गया है।
एक शाम रणथम्भोर में एक बाघिन माँ (T19) ने अपने दो शावकों के साथ सांभर हिरन का शिकार किया और एक जल श्रोत के पास बैठ कर उसे खाया और फिर पानी पीकर वहीँ बैठ आराम करने लग गए। कुछ समय बाद वहाँ एक अन्य नर बाघ (T104) आया जिसे पानी पीना था।
काफी समय तक खड़े रहने के बाद नर बाघ वहीँ पास में लेट गया परन्तु बाघिन और उसके शावक, नर बाघ और अपने भोजन पर सतर्क नज़र रहे वहीँ बैठे रहे व पानी से बाहर नहीं निकले।
प्यास से व्याकुल बाघ कई बार कोशिश करता रहा पानी में जाने की परन्तु बाघिन और शावकों ने उसे डरा कर दूर कर दिया।
यह संघर्ष पूरी रात चला और प्यास से परेशान बाघ समझ चूका था कि, यहाँ उसे पानी नहीं मिलेगा इसीलिए अंत में वो वहां से चला गया और लगभग दो किमी दूर एक अन्य जल श्रोत पर जाकर उसने अपनी प्यास बुझाई।
यह पुस्तक श्री अर्जुन आनंद द्वारा लिखित एक कॉफी टेबल फोटोग्राफी पुस्तक है जो विश्व प्रसिद्ध रणथंभौर नेशनल पार्क के लोकप्रिय बाघों की तस्वीरों व् उनके जीवन को साझा करती है तथा इस पुस्तक में स्थानीय लोगों के बीच “हमीर (T104)” नाम से प्रसिद्ध बाघ पर विशेष ध्यान दिया गया है। हमीर एक शानदार जंगली बाघ है, जो रणथम्भौर उद्यान में पैदा हुआ है, लेकिन तीन मनुष्यों को जान से मार देने के कारण एक मानव-भक्षक घोषित किया गया तथा आजीवन कारावास में बंद कर दिया गया। इस पुस्तक में 160 से अधिक तस्वीरें हैं। हालांकि, विशेषरूप से इस पुस्तक का केंद्र बाघ हमीर और रणथम्भौर के अन्य बाघ हैं परन्तु यह उद्यान की व्यापक झलक भी प्रदान करती है। यह रणथम्भौर के वन्य जीवन के बारे में जानने व रुचि रखने वालों के लिए एक अच्छा दस्तावेज रहेगा।
बाघ हमीर (T104) (फोटो: श्री अर्जुन आनंद)
रणथम्भौर का प्रसिद्ध बाघ हमीर (T104) (फोटो: श्री अर्जुन आनंद)
अर्जुन आनंद, एक भारतीय फ़ोटोग्राफ़र हैं। वह दुनिया के विभिन्न देशों में यात्रा करते हैं और लोगों व् प्राकृतिक परिदृश्यों की तस्वीरें खींचते हैं, लेकिन वन्यजीवों के प्रति यह सबसे अधिक भावुक हैं। इन्हें वन्यजीवों के साथ हमेशा से ही लगाव रहा है। इसकी शुरुआत 1980 के दशक में बांधवगढ़ नेशनल पार्क की यात्राओं से हुई जब वे अपने परिवार के साथ वहां घूमने जाते थे।
हमीर पुस्तक के लेखक “श्री अर्जुन आनंद”
अर्जुन अपने काम के साथ लगातार नए प्रयोग करते रहते हैं, जिसमें से कुछ वबी-सबी जापानी सिद्धांत, मिनिमैलिस्म के सिद्धांत (Principles of minimalism) है। ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें इनकी प्रथम पसंद हैं क्यूंकि इस प्रकार की तस्वीरों में रंगों की बाधा नहीं होती तथा दर्शक विषय के साथ बेहतर जुड़ने में सक्षम होते हैं। यहां तक कि प्रकृति से घिरे जंगल में भी, अर्जुन दर्शकों के लिए एक भावनात्मक अनुभव बनाने के लिए जीवन की स्थिरता और शांति को फोटोग्राफ करते हैं।