मनुष्यों द्वारा मुख्यतः खेती और वनों के लिए भूमि उपयोग से भूमि का परिदृश्य बदल रहा है। आज, समस्त भूमि का एक तिहाई हिस्सा अपना मूल स्वरूप या तो खो चुका है या खोना जारी है, जिसके परिणामस्वरूप जैव विविधता को नुकसान पहुंचा है और कार्बन भंडारण जैसी आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को भी क्षति पहुंची है।
संरक्षित क्षेत्र इस समस्या का एक समाधान हो सकते हैं। यदि प्रभावी ढंग से प्रबंधित और निष्पक्ष रूप से शासित किया जाए, तो ऐसे क्षेत्र प्रकृति और सांस्कृतिक संसाधनों की रक्षा कर सकते हैं, स्थायी आजीविका प्रदान कर सकते हैं और इस प्रकार सतत विकास का समर्थन कर सकते हैं।
संरक्षित क्षेत्र एक स्पष्ट रूप से परिभाषित भौगोलिक स्थान है, जिसे पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं और सांस्कृतिक मूल्यों के साथ प्रकृति के संरक्षण हेतु कानूनी या अन्य प्रभावी माध्यमों से प्रबंधित किया जाता है। ऐसे क्षेत्रों में मानव दखल कम से कम एवं प्राकृतिक संसाधनों का दोहन सीमित या नियंत्रित होता है।
संरक्षित क्षेत्रों की व्यापक रूप से स्वीकृत परिभाषा इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) द्वारा संरक्षित क्षेत्रों के वर्गीकरण दिशानिर्देशों में प्रदान की गई है। जिसके अनुसार “संरक्षित क्षेत्र कानूनी या अन्य प्रभावी साधनों के माध्यम से मान्यता प्राप्त एक स्पष्ट रूप से परिभाषित भौगोलिक स्थान होता है जो प्रकृति के दीर्घकालिक संरक्षण के साथ पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं और सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करने के लिए समर्पित और प्रबंधित है”
सुरक्षा के अलग-अलग स्तर, देश के कानूनों या अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के नियमों के आधार पर संरक्षित क्षेत्र कई प्रकार के होते हैं।
भारत के संरक्षित क्षेत्रों में वन्यजीव अभयारण्य, राष्ट्रीय उपवन, कंजर्वेशन / कम्यूनिटी रिजर्व और टाइगर रिजर्व शामिल हैं। आरक्षित वन इसमें शामिल नहीं हैं।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 2 (24A) में संरक्षित क्षेत्रों (PA) को परिभाषित किया गया है। धारा के अनुसार “संरक्षित क्षेत्र” का अर्थ है राष्ट्रीय उपवन, अभयारण्य, संरक्षण / सामुदायिक अभयारण्य। इन्हें “संरक्षित क्षेत्र” नामक अध्याय IV के तहत अधिसूचित किया गया है।
टाइगर रिजर्व को “राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण” (NTCA) नामक अध्याय IV B के तहत अधिसूचित किया गया है।
राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के क्षेत्रों को शामिल करके टाइगर रिज़र्व का गठन किया जाता है। यह धारा 38 V (4) (i) द्वारा अनिवार्य है। चूंकि, टाइगर रिजर्व के सभी अधिसूचित कोर या क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट या तो अभयारण्य हैं या बाघों की आबादी वाले राष्ट्रीय उपवन हैं इसलिए इन्हें भी PA माना जाता है। यहाँ आपको बात दें कि धारा 38 V (4) (ii) के अनुसार टाइगर रिजर्व में अधिसूचित बफ़र या परिधीय क्षेत्रों को संरक्षण की कमतर आवश्यकता होती है इसलिए इन्हें PA कि श्रेणी से बाहर रखा गया है। इनमें पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) भी शामिल हैं जो PA को घेरते हैं।
वन्यजीव अभयारण्य
राज्य सरकार अधिसूचना जारी कर किसी आरक्षित वन में शामिल किसी क्षेत्र से अलग किसी क्षेत्र या राज्यक्षेत्रीय जल खंड को अभयारण्य घोषित कर सकती है यदि वह समझती है कि ऐसा क्षेत्र वन्य जीव या उसके पर्यावरण के संरक्षण, संवर्धन या विकास के प्रयोजन के लिए पर्याप्त रूप से पारिस्थितिक, प्राणी-जात, वनस्पति-जात, भू-आकृति विज्ञान-जात, प्रकृति या प्राणी विज्ञान-जात महत्तव का है। अधिसूचना में यथासंभव निकटतम रूप से ऐसे क्षेत्र की स्थिति और सीमाएँ निर्धारित की जाएंगी।
राष्ट्रीय उपवन
जब कभी राज्य सरकार को यह प्रतीत होता है कि कोई क्षेत्र जो किसी अभयारण्य के भीतर हो या नहीं, अपने पारिस्थितिक, प्राणी-जात, वनस्पति-जात, भू-आकृति विज्ञान जात या प्राणी विज्ञान-जात महत्तव के कारण उसमें वन्य जीवों के और उसके पर्यावरण के संरक्षण, संवर्धन या विकास के प्रयोजन के लिए राष्ट्रीय उपवन के रूप में गठित किया जाना आवश्यक है, तो वह अधिसूचना द्वारा ऐसे क्षेत्र को राष्ट्रीय उपवन के रूप में गठित कर सकती है। राष्ट्रीय उपवन के अंदर किसी भी मानवीय गतिविधि की अनुमति नहीं होती सिवाय राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक द्वारा अध्याय 4 में दी गई शर्तों के तहत स्वीकृत गतिविधियों के।
आमतौर पर लोग यहाँ तक की वन विभाग भी राष्ट्रीय उपवन को राष्ट्रीय उद्यान कहकर संबोधित करते हैं, परंतु वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के अनुसार इस वर्ग के क्षेत्रों को राष्ट्रीय उपवन कहना उचित होगा।
कंजर्वेशन / कम्यूनिटी रिजर्व
संरक्षित क्षेत्रों को चिह्नित करने वाले शब्द हैं जो आम तौर पर स्थापित राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और आरक्षित और संरक्षित जंगलों के बीच बफर जोन के रूप में कार्य करते हैं। ऐसे क्षेत्र यदि निर्जन और पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में हों, लेकिन समुदायों और सामुदायिक क्षेत्रों द्वारा निर्वाह के लिए उपयोग किये जाते हों या भूमि के छोटे हिस्से का निजी स्वामित्व होने कि स्थिति में संरक्षण क्षेत्रों के रूप में नामित किया जा सकता है।
संरक्षित क्षेत्रों में इन श्रेणियों को पहली बार 2002 के वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम में पेश किया गया था। भूमि के निजी स्वामित्व और भूमि उपयोग के कारण मौजूदा या प्रस्तावित संरक्षित क्षेत्रों में कम सुरक्षा के कारण इन श्रेणियों को जोड़ा गया था।
राजस्थान में संरक्षित क्षेत्रों कि स्थिति:
राजस्थान के संरक्षित क्षेत्रों के बारे में यहाँ के लोगों को कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मालूम पड़ती। अक्सर यहाँ लोगों द्वारा अलग-अलग जानकारियाँ उपलब्ध कराई जाती है। यहाँ तक कि भिन्न सरकारी संस्थाओं द्वारा भी अलग – अलग जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। WII-ENVIS के वेब पोर्टल के अनुसार राजस्थान में 4 राष्ट्रीय उपवन और 25 वन्यजीव अभयारण्य हैं। राजस्थान सरकार के एनवायरनमेंट पोर्टल के अनुसार यहाँ 3 राष्ट्रीय उपवन और 26 अभयारण्य हैं।
वन विभाग की वेबसाईट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार राजस्थान में तीन राष्ट्रीय उपवन, 26 वन्यजीव अभयारण्य, 21 कंजर्वेशन रिजर्व, और 4 टाइगर रिजर्व हैं। यहाँ अभी तक एक भी कम्यूनिटी रिजर्व घोषित नहीं किया गया है, लेकिन इस संबंध में सरकार के प्रयास जारी हैं। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि डेसर्ट नैशनल पार्क और सरिस्का नैशनल पार्क को राजस्थान सरकार कि अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रीय उपवन घोषित किया गया है लेकिन वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अधिसूचना के अनुसार ये अभयारण्य ही हैं जिनके नाम में नैशनल पार्क शब्द जोड़ा गया है, और राजस्थान में सिर्फ राष्ट्रीय उपवन ही हैं।
क्रम. सं. | संरक्षित क्षेत्र | संख्या | क्षेत्रफल (वर्ग किमी) | कवरेज % (राज्य में) |
1 | राष्ट्रीय उपवन | 3 | 510.31 | 0.15 |
2 | वन्यजीव अभयारण्य | 26 | 9015.78 | 2.63 |
3 | कंजर्वेशन रिजर्व | 21 | 1155.97 | 0.38 |
4 | टाइगर रिजर्व | 4 | 4886.54 | 1.42 |
योग | 54 | 15568.6* | 4.58 |
* योग, संरक्षित क्षेत्रों के एरिया के ओवरलैप को छोड़कर
राजस्थान के संरक्षित क्षेत्रों की सूची (जुलाई, 2023) | ||||
क्रमांक | संरक्षित क्षेत्र का नाम | ज़िला | क्षेत्रफल
(वर्ग किमी) |
अधिसूचना एवं दिनांक |
A | टाइगर रिजर्व | |||
1 | रणथम्भौर टाइगर रिजर्व | सवाई माधोपुर, करौली, बूंदी, टोंक | 1411.32 | F3(34)FOREST/2007 dated 28.12.2007 (CTH Notification) and F3(34)FOREST/2007 dated 06.07.2012 (Buffer Notification) |
2 | सरिस्का टाइगर रिजर्व | अलवर, जयपुर | 1213.34 | F3(34)FOREST/2007 dated 28.12.2007 (CTH Notification) and F3(34)FOREST/2007 dated 06.07.2012 (Buffer Notification) |
3 | मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व | कोटा, बूंदी, झालावाड़, चित्तौड़गढ़ | 759.99 | F3(8)FOREST/2012 dated 09.04.2013 (CTH Notification) and F3(8)FOREST/2012 dated 09.04.2013 (Buffer Notification) |
4 | रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व | कोटा, बूंदी | 1501.89 | F3(12)FOREST/2019 Dated 30.05.2022 |
टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल | 4886.54 | |||
B | राष्ट्रीय उद्यान | |||
1 | रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान | सवाई माधोपुर | 282.03 | F11(26)Raj-8/88/Dated 01.11.1980 |
2 | केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान | भरतपुर | 28.73 | F3(5)(9)/8/72/Dated 27.08.1981 |
3 | मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान | कोटा, चित्तौड़गढ़ | 199.55 | F11(56)Van/2011/Part Dated 09.01.2012 |
राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्रफल | 510.31 | |||
C | वन्यजीव अभयारण्य | |||
1 | सरिस्का अभयारण्य | अलवर | 491.99 | F39(2)Forest/55/Dated 01.11.1955 |
2 | दर्रा अभयारण्य | कोटा, झालावाड़ | 227.64 | F39(2)Forest/55/ Dated 01.11.1955 Overlap with Mukundara Hills National Park. Area based on MHTR notifications |
3 | वन विहार अभयारण्य | धौलपुर | 25.6 | F39(2)Forest/55/Dated 01.11.1955 |
4 | जयसमंद अभयारण्य | उदयपुर | 52.34 | F39(2)Forest/55/ Dated 01.11.1955 |
5 | माउंट आबू अभयारण्य | सिरोही | 326.1 | P.11(40)Van/97/ Dated 15.04.2008 |
6 | कुंभलगढ़ अभयारण्य | राजसमंद, उदयपुर, पाली | 610.528 | F10(26)Revenue/A/71/ Dated 13.07.1971 |
7 | ताल छाप्पर अभयारण्य | चूरू | 7.19 | F379/Revenue/8/59/ Dated 04.10.1962 |
8 | सीतामाता अभयारण्य | उदयपुर, चित्तौड़गढ़ | 422.94 | F11(9)Revenue/8/78/ Dated 02.01.1979 |
9 | राष्ट्रीय घड़ियाल अभयारण्य | कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करोली, धौलपुर | 564.03 | F11(39)Revenue/8/78/ Dated 07.12.1979 Overlap with Mukundara Hills National Park Area as per DGPS survey |
10 | नाहरगढ़ अभयारण्य | जयपुर | 52.4 | F11(39)Revenue/8/80 Dated 22.09.1980 |
11 | जमवा रामगढ़ अभयारण्य | जयपुर | 300 | F11(12)Revenue/8/80/ Dated 31.05.1982 |
12 | जवाहर सागर अभयारण्य | कोटा, बूंदी, चित्तौड़गढ़ | 194.59951 | F11(5)13/Revenue/8/73/ Dated 09.10.1975 Overlap with Mukundara Hills National Park Area based on MHTR notifications |
13 | डेसर्ट नैशनल पार्क अभयारण्य | जैसलमेर, बाड़मेर | 3162 | F3(1)73/Revenue/8/79/ Dated 04.08.1980 |
14 | रामगढ़ विषधारी अभयारण्य | बूंदी | 303.05 | F11(1)/Revenue/8/79/ Dated 20.05.1982 After de-notification |
15 | भेन्सरोडगढ़ अभयारण्य | चित्तौड़गढ़ | 201.4 | F11(44)/Revenue/8/81/ Dated 05.02.1983 |
16 | केलादेवी अभयारण्य | करोली, सवाई माधोपुर | 676.82 | F11(28)/Revenue/8/83/ Dated 19.07.1983 |
17 | शेरगढ़ अभयारण्य | बारां | 81.67 | F11(35)/Revenue/8/83/ Dated 30.07.1983 |
18 | टॉडगढ़ रावली अभयारण्य | राजसमंद, अजमेर, पाली | 495.27 | F11(56)/Revenue/8/82/ Dated 28.09.1983 |
19 | फुलवारी की नाल अभयारण्य | उदयपुर | 511.41 | F11(1)/Revenue/8/83/ Dated 06.10.1983 |
20 | सवाई माधोपुर अभयारण्य | सवाई माधोपुर | 131.3 | F/39/(2)For/55 dated 07.11.1955 Overlap with Ranthambhore National Park |
21 | सवाईमान सिंह अभयारण्य | सवाई माधोपुर | 113.07 | F11(28)/Revenue/8/84/ Dated 30.11.1984 |
22 | बाँध बरेठा अभयारण्य | भरतपुर | 199.24 | F11(1)/Enviorment/ Dated 07.10.1985 |
23 | सज्जनगढ़ अभयारण्य | उदयपुर | 5.19 | F11(64)/Revenue/8/86/ Dated 17.02.1987 |
24 | बस्सी अभयारण्य | चित्तौड़गढ़ | 138.69 | F11(41)/Revenue/8/86/ Dated 29.08.1988 |
25 | रामसागर अभयारण्य | धौलपुर | 34.4 | F39(2)FOR/55/ Dated 07.11.1955 |
26 | केसरबाग अभयारण्य | धौलपुर | 14.76 | F39(26)FOR/55/ Dated 07.11.1955 |
कुल अभयारण्य क्षेत्र | 9015.78 | |||
D | संरक्षण रिजर्व | |||
1 | बीसलपुर संरक्षण रिजर्व | टोंक | 48.31 | P.3(19)Van/2006/ Dated 13.10.2008 |
2 | जोडबीड गढ़वाला बीकानेर संरक्षण रिजर्व | बीकानेर | 56.4662 | P.3(22)Van/2008/ Dated 25.11.2008 |
3 | सुंधामाता संरक्षण रिजर्व | जालोर, सिरोही | 117.4892 | P.3(22)Van/2008/ Dated 25.11.2008 |
4 | गुढ़ा विश्नोईयन संरक्षण रिजर्व | जोधपुर | 2.3187 | P.3(2)Van/2011/ Dated 15.12.2011 |
5 | शाकंभरी संरक्षण रिजर्व | सीकर, जुंझुनू | 131 | P.3(16)Van/2009/ Dated 09.02.2012 |
6 | गोगेलाव संरक्षण रिजर्व | नागौर | 3.58 | P.3(17)Van/2011/ Dated 09.03.2012 |
7 | बीड झुंजुनू संरक्षण रिजर्व | जुंझुनू | 10.4748 | P.3(47)Van/2008/ Dated 09.03.2012 |
8 | रोटू संरक्षण रिजर्व | नागौर | 0.7286 | P.3(8)Van/2011/ Dated 29.05.2012 |
9 | उम्मेदगंज पक्ष विहार संरक्षण रिजर्व | कोटा | 2.7247 | F3(1) FOREST/ 2012 dated 5.11.2012 |
10 | जवाईबंध तेंदुआ संरक्षण रिजर्व | पाली | 19.79 | F3(1) FOREST/ 2012 dated 27.02.2013 |
11 | बंसियाल खेतड़ी संरक्षण रिजर्व | जुंझुनू | 70.1834 | F3(13) FOREST/ 2016 dated 01.03.2017 |
12 | बंसियाल – खेतड़ी बागोर संरक्षण रिजर्व | जुंझुनू | 39.66 | F3(13) FOREST/ 2016 dated 10.04.2018 |
13 | जवाई बांध तेंदुआ संरक्षण रिजर्व-2 | पाली | 61.98 | F3(4) FOREST/ 2012 PT dated 15.06.2018 |
14 | मनसा माता संरक्षण रिजर्व | झुंझुनू | 102.31 | F3(9) FOREST/ 2013 Jaipur dated 18.11.2019 |
15 | रंखार संरक्षण रिजर्व | जालोर | 72.88 | PFN3(3)Forest/2022/Dated 23.05.2022 |
16 | शाहबाद संरक्षण रिजर्व | बारा | 189.39 | PFN 4(12) Forest /2017 Date 24.01.2022 |
17 | शाहबाद तलाहती संरक्षण रिजर्व | बारा | 178.84 | F4(12)FOREST/2017 Dated 01.09.2022 |
18 | बीड घास फुलियाखुर्द संरक्षण रिजर्व | भीलवाड़ा | 0.8579 | F4(3)FOREST/2022 Dated 27.09.2022 |
19 | बाघदरा मगरमच्छ संरक्षण रिजर्व | उदयपुर | 3.6871 | P.3(22)Van/2022 |
20 | वाडाखेड़ा संरक्षण रिजर्व | सिरोही | 43.31 | P.3(20)Van/2022 Dated 27.12.2022 |
21 | झालाना–अमागढ़ संरक्षण रिजर्व | जयपुर | 35.07169 | F3(23)FOREST/2022 Dated 27.02.2023 |
कुल संरक्षण आरक्षित क्षेत्र | 1155.97 | |||
E | प्रक्रियाधीन | |||
1 | सरिस्का (A) अभयारण्य | अलवर | 3.01 | P1(24)Van/08/Dated 20.06.2012 |
2 | डेजर्ट नेशनल पार्क | जैसलमेर, बाड़मेर | 3162 | |
3 | सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान | अलवर | ||
4 | कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान | राजसमंद | ||
5 | बाँध बरेठा अभयारण्य (विस्तार) | भरतपुर |
Source: Wildlife (Planning) Wing, Department of Forests and Wildlife, Government of Rajasthan.
Cover Photo: Dr. Dharmendra Khandal
Original article updated on July 12, 2023
प्रवीण जी बहुत ही सटीक, टू द पॉइंट, अपडेटेड तथा संबंधित सभी सूचनाओं को कवर करता हुआ आपका यह आर्टिकल कंजर्वेशन के क्षेत्र में विशेष योगदान देगा। क्योंकि सूचनाएं तो बहुत है लेकिन वह अंग्रेजी में लिखी हुई है हिंदी में सूचनाओं की कमी है और संरक्षण के लिए सूचनाएं हमारी भाषा में होनी चाहिए। आपका तहे दिल से धन्यवाद। धन्यवाद धर्मेंद्र जी खांडल को जिनके फेसबुक वॉल पर यह पोस्ट मिली।
~~~~~~~~~
जगदीश यादव
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण, जोधपुर
राजस्थान बायोडायवर्सिटी ऑर्ग इसी उद्देश्य के साथ डॉ धर्मेन्द्र द्वारा 2020 में स्थापित किया गया था। रीडर्स के पॉजिटिव कमैंट्स हमे प्रोत्साहित करते हैं, आपका आभार।
Really very helpfull our Rajasthani also Indians and world
Very good job 👍
Thankyou very much
thnku so much for providing this… really very helpful.. sare doubt clear ho gye aapki is help ki wjh se.. shukriya sir
Good effort keep it up
Very informative
Hope it helps.
Amazing 👏 ……
Nicely covered 👌
Well done praveen ….
शुक्रिया 🙂