बाघ और हिरण को दुनिया वैसे नहीं दिखती जैसे हमें दिखती है। प्रत्येक प्रजाति ने अपने पर्यावरण के अनुकूल रंग दृष्टि विकसित की है। हमारी आँखें प्रकाश को पहचानने और प्रोसेस करने की अनूठी प्रणाली से लैस होती हैं। यह प्रणाली हमारी आँखों और मस्तिष्क के संयोजन से संभव होती है। विभिन्न प्राणी समूह अपनी ज़रूरतों के अनुरूप अपनी दृष्टि विकसित करते हैं। शिकारी प्राणी, जैसे बाघ और बघेरे, अपने शिकार की हलचल पर अधिक निर्भर होते हैं, इसलिए इन्हें विस्तृत रंग श्रेणी देखने की आवश्यकता नहीं होती। इनके पास बायनोक्यूलर दृष्टि होती है, जिससे वे गहराई और दूरी का सही अंदाजा लगा सकते हैं। वहीं, शिकार प्राणी, जैसे हिरण और खरगोश, शिकारियों से बचने के लिए अधिक क्षेत्र देखने की आवश्यकता होती है, इसलिए उनकी आँखें सिर के दोनों ओर स्थित होती हैं, जिससे वे व्यापक दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं।

रंग देखने की क्षमता आँख में मौजूद प्रकाश-संवेदनशील कोशिकाओं (फोटोरिसेप्टर्स) पर निर्भर करती है। ये मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं: रॉड कोशिकाएँ, जो कम रोशनी में देखने और चमक का पता लगाने में सहायक होती हैं, और शंकु (कॉन) कोशिकाएँ, जो रंग और सूक्ष्मता को पहचानने में सहायक होती हैं। मनुष्यों में तीन प्रकार के शंकु होते हैं, जो त्रिवर्णी दृष्टि (Trichromatic vision) प्रदान करते हैं। हम नीले, हरे और लाल रंगों को पहचान सकते हैं, जिससे हमें रंगों की विस्तृत श्रेणी दिखती है। दूसरी ओर, बाघों की आँखों में केवल दो प्रकार के शंकु होते हैं, जिससे वे केवल नीले और हरे रंग को स्पष्ट देख सकते हैं। लाल और नारंगी रंग उन्हें धुंधले भूरे या फीके दिखाई देते हैं। बाघ गति और कंट्रास्ट पर अधिक निर्भर रहते हैं, जिससे रात और शाम के समय शिकार करने में उन्हें सहायता मिलती है। हिरणों की दृष्टि भी द्विवर्णी होती है, लेकिन वे नीले और पीले रंग को बेहतर तरीके से देख सकते हैं। लाल और नारंगी रंग उनके लिए भूरे या धूसर जैसे दिखते हैं। इसलिए, हिरण बाघ के नारंगी फर को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते, जिससे बाघ जंगल में आसानी से घुलमिल जाते हैं। 

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कुछ जीव, जैसे पक्षी, चतुर्वर्णी (Tetrachromatic) दृष्टि रखते हैं, जिससे वे UV प्रकाश भी देख सकते हैं, जबकि मेंटिस श्रिम्प 16-वर्णी (Hyper-spectral) दृष्टि रखते हैं और UV, इन्फ्रारेड और ध्रुवीकृत प्रकाश भी देख सकते हैं। मनुष्य इन्फ्रारेड और UV नहीं देख सकते क्योंकि हमारी आँखों के लेंस UV को फ़िल्टर कर देते हैं। हालांकि, कुछ लोगों को लेंस सर्जरी के बाद UV देखने की क्षमता विकसित होने की रिपोर्ट मिली है।

पक्षी अपनी आँखों को UV प्रकाश से सुरक्षित रखने के लिए कई अनुकूलन विकसित कर चुके हैं। उनकी आँखों के लेंस और कॉर्निया UV प्रकाश को फ़िल्टर करने में सक्षम होते हैं, जिससे अधिक तीव्र UV किरणें सीधे रेटिना तक नहीं पहुँचतीं। इसके अलावा, उनकी आँखों में विशेष प्रकार के तेलयुक्त रंगीन ड्रॉपलेट्स (oil droplets) पाए जाते हैं, जो हानिकारक प्रकाश तरंगदैर्ध्य को फ़िल्टर करने और रंगों को बेहतर तरीके से पहचानने में मदद करते हैं। कुछ पक्षी अपनी पलकें और तीसरी पलक (nictitating membrane) का भी उपयोग UV किरणों से सुरक्षा के लिए करते हैं, जो उनकी आँखों को नमी देने और धूल से बचाने के साथ-साथ UV प्रकाश के प्रभाव को भी कम कर सकती है। 

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जंगल में किस रंग के कपड़े पहने ?

यदि आप जंगल में जानवरों को कम आकर्षित करना चाहते हैं, तो सही रंगों के कपड़े पहनना महत्वपूर्ण है। चमकीला हरा, सफेद, काला, नीला और बैंगनी रंग जानवरों को स्पष्ट दिख सकते हैं, जबकि भूरा, खाकी और ग्रे रंग प्राकृतिक वातावरण में अच्छी तरह से घुलमिल जाते हैं। नारंगी रंग हिरण और अन्य स्तनधारियों के लिए हल्के भूरे जैसा दिखता है, लेकिन पक्षियों के लिए यह आकर्षक हो सकता है। इसलिए, पक्षियों को कम परेशान किया जाए इसके लिए लाल, नारंगी और पीले रंग से बचना चाहिए।

हर प्राणी का रंग दृष्टि का अनुभव अलग होता है। बाघ और हिरण रंगों को हमारी तरह नहीं देख सकते, लेकिन उनके लिए गति और चमक अधिक महत्वपूर्ण होती है। जंगल में घुलमिल जाने के लिए भूरे, खाकी और ग्रे रंग के कपड़े पहनना सबसे उपयुक्त रहता है।

जंगल में घुलमिल जाने के लिए भूरे, खाकी और ग्रे रंग सबसे उपयुक्त होते हैं