दुनियाँ में पक्षी अवलोकन (Bird watching or birding), साँप अवलोकन (Snake watching), वन्यजीव छायाचित्रण (Wildlife Photography),  वन भ्रमण (Jungle trekking), जंगल सफारी (Jungle safari), पर्वतारोहण (Mountaineering), ऊँचे स्थानों पर चढाई चढना (Hicking) आदि काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। हाल के वर्षों में लोगों में वनों एवं अन्य प्राकृतिक स्थलों पर किसी प्रजाति विशेष के विशालतम आकार या अत्यधिक आयु वाले या किसी असामान्य बनावट वाले वृक्षों को देखने की रूची पनपने लगी है। लोग वनों में या अपने आस-पास के परिवेश में प्रजाति विशेष के बडे से बडे वृक्षों को ढूढने के प्रयासों से व्यस्त देखने को मिल जाते हैं। वृक्ष अवलोकन या निहारन लोगों की प्रिय रूची बनता जा रहा है। यह उसी तरह लोकप्रिय होने लगा है जैसे देश में जगह- जगह पक्षी निहारन या अवलोकन (Bird watching) लोक प्रिय हो रहा है। विशिष्ठ वृक्षों को ढूँढ -ढूँढ कर देखने की अभिरुची (Hobby) को वृक्ष निहारण या वृक्ष अवलोकन (Tree watching or tree spotting) कहा जाता है। भारत सरकार द्वारा 1994 से राष्ट्रीय स्तर पर महावृक्ष पुरस्कार देने का सिलसिला प्रारम्भ किया गया है। इस पुरस्कार हेतु प्रतिवर्ष भारत सरकार किन्हीं प्रजाति विशेष की घोषणा करती है तथा उन प्रजातियों के देश के सबसे विशालतम् वृक्षों की जानकारी देने वाली प्रवष्ठियाँ मांगी जाती हैं। एक नियत तिथी के बाद सभी प्रविष्ठियो की जाँच एक विशेषज्ञ कमेटी द्वारा की जाती है तथा प्रजाति विशेष के सबसे बडे वृक्ष की प्रविष्टि का सत्यापन होने पर उस वृक्ष को प्रजाति विशेष की श्रेणी में देश का “महावृक्ष” मानते हुऐ महावृक्ष घोषित कर दिया जाता है। भारत सरकार अभी तक सागवान, देवदार, नीम, यूकेलिप्टस, इमली, चम्पा, शीशम, अंगू, होलोंग, फलदू, बहेडा, आँवला, तून, सेमल, मौलसरी, महुआ, बेंखोर आदि को महावृक्ष घोषित कर चुकी है।

हाँलाकि राजस्थान मे भारत सरकार ने किसी प्रजाति के वृक्ष को महावृक्ष घोषित नहीं किया है लेकिन जगह-जगह विशाल आकार-प्रकार के वृक्ष, झाडिया एवं यहाँ तक की काष्ठ लताएं (Lianas) भी देखने को मिल जाती हैं। इस अध्ययन में इन्हीं विशाल प्रकार के वृक्षों, झाडियों व काष्ठ लताओं की जानकारी दी गई है।

राजस्थान राज्य के विशालतम आकार के विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों, झाडियों एवं काष्ठ लताओं की जानकारी नीचे सारणी 1 में प्रस्तुत की गई हैं।

उपरोक्त सारणी में दर्ज वृक्ष, झाडी व काष्ठ लताऐं राजस्थान के संदर्भ में ज्ञात विशाल आकार-प्रकार के विशिष्ठ पौधे हैं। कडेच गाँव के बरगद का फैलाव लगभग 0.2 हैक्टेयर में है। इसी तरह कुण्डेश्वर महादेव पवित्र कुंज (Sacred grove) के बरगद का विस्तार 0.3 हैक्टेयर है जो मादडी गाँव में स्थित राज्य के सबसे बडे बरगद से काफी कम है। मादडी गाँव का बरगद 1.02 हैक्टेयर में फैला हुआ है। दोनों छोटे बरगदों को इसलीए शामिल किया गया है क्योंकि इनका छत्रक अच्छे आकार का है तथा ये दोनों बहुत सुन्दर भी हैं, खास कर कुण्डेश्वर महादेव क्षेत्र का बरगद बहुत ही सुन्दर एवं दर्शनीय है। इस बरगद के आस-पास का पवित्र कुंज साल भर देखने लायक रहता है तथा बडी संख्या में धार्मिक एवं पारिस्थितिक पर्यटन करने वाले लोग यहाँ पहुँचते हैं।

रामकुण्डा मंदिर क्षेत्र मे काँकण गाँव के रास्ते आवरीमाता होकर ‘‘हाला हल्दू” के पास से चलते हुए करूघाटी तक जाने में रामकुण्डा एवं लादन वन खण्डों का जंगल पार करना पडता है। यहाँ पहाडों की ऊँचाई पर राजस्थान राज्य का बाँस (Dendrocalamus strictus) का श्रेष्ठतम् वन विद्यमान है। संभवत इस क्षेत्र में जंगली केले (Ensete superbum) का घनत्व पश्चिमी घाट के वनों के समतुल्य या उसमे कुछ बेहतर है। स्थल गुणवत्ता (Site quality) का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहाँ 24‘ ऊँचाई वाला बाँस दोहन किया जाता है तथा लगभग 873 मी. समुन्द्रतल से ऊँचाई पर भी पहाडों में हल्दू (Adina cordifolia) के वृक्षों की वृद्वी लगभग वैसी ही है जो की पहाडों की तलहटी में है। प्रसिद्व लैण्ड मार्क (Landmark) ‘‘हाला हल्दू’’ नामक हल्दू का वृक्ष इसका उदाहरण है जो इतनी ऊँचाई का पर भी विशाल आकार ग्रहण करने मे सफल रहा है।

सारणी 1: राजस्थान के कुछ विषाल आकार के वृक्ष, झाडियां एवं काष्ठ लताऐं
क्र.स.
स्थिती
जिला
प्रजाति
नाप संबंधित जानकारी (एवं स्वभाव)
सुरक्षा की स्थिती
1नांदेशमा गाँव, तहसील गोगुन्दाउदयपुरपलास (Butea monosperma)भूमि से निकलते ही दो शाखाओं में  विभाजित जिनका वक्ष ऊँचाई घेरा क्रमषः 2.82 एवं 1.19 मीटर (वृक्ष)सुरक्षित
2कडेच गाँव, तहसील गोगुन्दाउदयपुरबरगद (Ficus benghalensis)छत्रक फैलाव 50X42 मी., 27 प्रोप जडें(वृक्ष)सुरक्षित
3गुलाबबाग (चिडियाघर)उदयपुरमहोगनी (Swietenia mahagoni)वक्ष ऊँचाई घेरा 2.50 मी., ऊँचाई 12.0 मी. (वृक्ष)सुरक्षित
4गुलाबबाग (बच्चों का पार्क)उदयपुरमहोगनी (Swietenia mahagoni)वक्ष ऊँचाई घेरा 5.97 मी., ऊँचाई 15.0 मी. (वृक्ष)सुरक्षित
5गुलाबबाग (बच्चों का पार्क)उदयपुरमहोगनी (Swietenia mahagoni)वक्ष ऊँचाई घेरा 7.0 मी, ऊँचाई 15.0 मी.(वृक्ष)सुरक्षित
6कंडेश्वर र महादेव, तहसील गिर्वाउदयपुरबरगद (Ficus benghalensis)छत्रक फैलाव 60X60 मी.(वृक्ष)सुरक्षित
7भेरू जी कुंज, बरावली गाँव, तहसील गोगुन्दाउदयपुरमाल कांगणी (Celastrus paniculata)भूमि तल पर घेरा 0.75 मी., लंबाई 20.0 मी. (काष्ठ लता)सुरक्षित
8भेरू जी कुंज, बरावली गाँव, तहसील गोगुन्दाउदयपुरकैगर खैर (Acacia ferruginea)वक्ष ऊँचाई घेरा 1.80 मी., ऊँचाई 10.0 मी. (वृक्ष)सुरक्षित
9रामेश्वर धाम, काछबा तहसील गोगुन्दाउदयपुरजंगल जलेबी (Pithocellobium dulce)वक्ष ऊँचाई घेरा 3.21 मी., ऊँचाई 18.0 मी.सुरक्षित
10केकडिया खोह, केकडिया गाँव, तहसील माण्डलगढभीलवाडाजामुन (Syzygium cumini)वक्ष ऊँचाई घेरा 4.70 मी., ऊँचाई 10.0 मी. (वृक्ष)सुरक्षित
11झिर पौधशालाझालावाडपीपल (Ficus religiosa)वक्ष ऊँचाई घेरा 6.0 मी., ऊँचाई 12.0 मी.(वृक्ष)सुरक्षित
12इटावा गाँव, पंचायत समिती कोटडीभीलवाडापलास (Butea monosperma)सभी पतियाँ एक पर्णी (वृक्ष)सुरक्षित
13दही मता मंदिर के पास, दहीमाता गाँव, तहसील गिर्वाउदयपुरबहेडा (Terminalia bellirica)वक्ष ऊँचाई घेरा 6.30 मी., ऊँचाई 18.0 मी., बट्रेस 18 (वृक्ष)सुरक्षित
14श्री शंकर महाराज का खेत, मदारिया गाँव, करेडा- देवगढ रोडराजसमन्दबबूल (Acacia nilotica var. indica)वक्ष ऊँचाई घेरा 3.90 मी., ऊँचाई 12.0 मी. (वृक्ष)सुरक्षित
15काँकल (काकंण) गाँव, तहसील झाडोलउदयपुरसेमल (Bombex ceiba)वक्ष ऊँचाई घेरा 7.50 मी., ऊँचाई 25.0 मी. (वृक्ष)आंशिक सुरक्षित
16काँकल (काकंण) गाँव, तहसील झाडोलउदयपुरगूलर (Ficus recemosa)वक्ष ऊँचाई घेरा 8.40 मी., ऊँचाई 21.0 मी. (वृक्ष)आंशिक सुरक्षित
17रामकुण्डा वनखण्ड, क.न. 18 तथा लादन क.न. 11उदयपुरहल्दू (Adina cordifolia)वक्ष ऊँचाई घेरा 3.90 मी., ऊँचाई 25.0 मी. (वृक्ष)सुरक्षित
18लादन वनखण्ड मे करूघाटी से पहले पगडण्डी के पासउदयपुरपलास (Butea monosperma)वक्ष ऊँचाई घेरा 4.80 मी., ऊँचाई 20.0 मी. (वृक्ष)सुरक्षित
19दीपेश्वर महादेव प्रतापगढप्रतापगढकलम (Mitragyna parvifolia)वक्ष ऊँचाई घेरा 4.20 मी., ऊँचाई 15.0 मी. (वृक्ष)सुरक्षित
20पानगढ पुराना किला, (बिजयपुर रेंज)चित्तौडगढबडी गूगल (Commiphora agalocha)भूमि तल पर घेरा 1.05 मी., ऊँचाई 5.0 मी. (झाडी)सुरक्षित
21पानगढ तालाब की पाल (बिजयपुर रेंज)चित्तौडगढरायण (Manilkara hexandra)वक्ष ऊँचाई घेरा 5.0 मी., ऊँचाई 12.0 मी. (वृक्ष)सुरक्षित
22पानगढ तालाब की पाल (बिजयपुर रेंज)चित्तौडगढइमली (Tamarandus indica)वक्ष ऊँचाई घेरा 5.60 मी., ऊँचाई 12.0 मी. (वृक्ष)सुरक्षित
23गाँव भभाण, तह. माँण्डलभीलवाडापीलवान (Cocculus pendulus)काष्ठ लता, भूमि पर घेरा 0.95 मी. (काष्ठ लता)आंशिक सुरक्षित
24गाँव देवली (माँझी)कोटादखणी सहजना (Moringa concanensis)वक्ष ऊँचाई घेरा 3.14 मी., ऊँचाई 12.0 मी. (वृक्ष)आंशिक सुरक्षित
25आल गुवाल एनीकट, बाघ परीयोजना, सरिस्काअलवरगूलर (Ficus recemosa)वक्ष ऊँचाई घेरा 11.67 मी., ऊँचाई 18.0 मी. (वृक्ष)आंशिक सुरक्षित
26जूड की बड़ली (रीछेड गाँव के पास तहसील केलवाड़ा)उदयपुरबरगद (Ficus benghalensis)1.4 हैक्टेयर में फैलावसुरक्षित

सारणी 1 में दर्ज वृक्ष एवं काष्ठ लताऐं अपनी-अपनी प्रजाति के विशाल आकार प्रकार वाले वृक्ष हैं। ये राज्य की अद्भुत जैविक धरोहर भी हैं जिन्हें हमें जतनपूर्वक संरक्षित करना चाहिये। ये परिस्थितिकी पर्यटन को बढावा देकर स्थनीय जनता हेतु रोजगार के नये अवसर भी स्थापित कर सकते हैं।

विशाल आकार-प्रकार ग्रहण करने के लिए किसी भी पौधे को एक बडी आयु तक जीना पडता है। इस लेख में वर्णित पौधे बहुत बडी आयु तक संरक्षित रहे हैं तभी द्वितियक वृद्धी (Secondary growth) के कारण वे विशाल आकार ग्रहण कर पाये हैं। यह राज्य की एक अद्भुत जैविक विरासत है। हर वन मण्डल, रेंज एवं नाकों को अपने- अपने क्षेत्र में स्थिती इन विरासत वृक्षों की कटाई, आग, व दूसरे नकारात्मक कारकों से सुरक्षा करनी चाहिये। उचित प्रचार- प्रसार द्वारा जन-जन तक इन विरासत वृक्षों, झाडियों व काष्ठ लताओं की जानकारी पहुँचाई जानी चाहिये ताकी परिस्थितिकी पर्यटन को विस्तार दिया जा सके ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार के अधिक अवसर मिल सकें।