First Record of Tarantula Spider in Rajasthan: A Remarkable Discovery

First Record of Tarantula Spider in Rajasthan: A Remarkable Discovery

Tarantulas, belonging to the family Theraphosidae, are large, hairy spiders commonly found in warm regions worldwide, with several species also documented in India. For the first time in Rajasthan, a tarantula was recorded by Shri Batti Lal Meena, an experienced guide in Ranthambhore. He photographed the spider in 2018 near Singh Dwar, along the main road leading to the Ranthambhore Fort.

Tarantulas are generally non-aggressive toward humans but carry mild venom, comparable to a bee or scorpion sting, which they use to immobilize prey such as insects, small reptiles, and amphibians. Nocturnal hunters, they rely on their sensitive hairs to detect vibrations in their surroundings.

These spiders play a critical role in ecosystems as predators and prey, contributing significantly to biodiversity. Despite their intimidating appearance, tarantulas are fascinating creatures known for their unique behaviours. This discovery is not only a milestone for Rajasthan but also hints at the possibility of this being a new species, adding to the scientific understanding of arachnids.

Mr. Batti Lal Meena, the naturalist who made the first recorded sighting of a tarantula spider in Rajasthan

First Record of Tarantula Spider in Rajasthan: A Remarkable Discovery

राजस्थान में पहली बार टारेंटुला मकड़ी का रिकॉर्ड: एक अद्भुत खोज

टारेंटुला मकड़ियां थेराफोसिडे परिवार से संबंधित बड़े आकार की, घने बालों वाली मकड़ियां हैं। ये दुनिया भर के गर्म क्षेत्रों में पाई जाती हैं और भारत में भी इनकी कई प्रजातियां देखी जाती हैं। राजस्थान में पहली बार टारेंटुला को रणथंभौर के एक अनुभवी गाइड श्री बत्ती लाल मीणा ने रिकॉर्ड किया। उन्होंने इसे 2018 में सिंहद्वार के पास रणथम्भोर किले पर जाने वाली मुख्य सड़क पर फोटोग्राफ किया था। टारेंटुला आमतौर पर मनुष्यों के प्रति आक्रामक नहीं होते हैं, लेकिन इनमें हल्का ज़हर होता है, जो मधुमक्खी या बिच्छू के डंक के समान होता है। ये ज़हर कीड़ों, छोटे सरीसृपों और उभयचरों जैसे शिकार को वश में करने के लिए इस्तेमाल होता है। टारेंटुला रात में शिकार करते हैं और कंपन का पता लगाने के लिए अपने संवेदनशील बालों पर निर्भर रहते हैं। ये पारिस्थितिकी तंत्र में शिकारियों और शिकार दोनों के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डरावनी छवि के बावजूद, टारेंटुला अपने अनोखे व्यवहार और जैव विविधता में योगदान के लिए जाने जाते हैं। यह खोज अपने आप में राजस्थान के लिए तो अनूठी है ही बल्कि मेरा मानना है की यह विज्ञान के लिए एक नयी मकड़ी की एक प्रजाति भी हो सकती है।

राजस्थान में पहली बार टारेंटुला मकड़ी के खोजकर्ता श्री बत्ती लाल मीणा
तालछापर अभ्यारण्य में ग्रीन लिंक्स मकड़ी की नई प्रजाति

तालछापर अभ्यारण्य में ग्रीन लिंक्स मकड़ी की नई प्रजाति

राजस्थान के चूरू जिले में स्थित तालछापर वन्यजीव अभ्यारण्य में वैज्ञानिकों ने ग्रीन लिंक्स मकड़ी की एक नई प्रजाति की खोज की है। यह खोज डॉ. विनोद कुमारी के मार्गदर्शन में शोध कार्य कर रही सीकर निवासी निर्मला कुमारी द्वारा की गई है।

लिंक्स मकड़ियाँ

ये स्थलीय शिकारी मकड़ियां प्रभावी अरैक्निडा वर्ग की जंतु है जो कि पारिस्थितिकी तंत्र के की-स्टोन प्रजाति हैं। ऑक्सीओपिडी कुल के सदस्यों में आठ आंखें, तीन टारसल नखर, तीन जोड़ी स्पिनरेट्स, अधिजठर खांच के किनारों पर बुकलंग्स खुलना के सामान्य लक्षण होते हैं। इन मकड़ियों को अध्ययन क्षेत्र में इनके पैरो पर उपस्थित असंख्य खड़े स्पाइंस,  तीव्र गति की अचानक छलांगों  से पहचाना जाता है। इनकी खोज और वर्गीकरण का श्रेय स्वीडिश अरच्नोलॉजिस्ट टॉर्ड टैमरलान टेओडोर थोरेल को जाता है, जिन्होंने 1869 में इन मकड़ियों का अध्ययन किया था।

इन मकड़ियों की आदतों एवम अपेक्षाकृत तेज दृष्टि के कारण इन्हें लिंक्स मकड़ियां कहा जाता हैं ये मकड़ियां ऑक्सीओपिडी कुल के 9 वंशों की लगभग 445 प्रजातियों से संबंधित है । इनकी उत्कृष्ट दृष्टि शिकार को सक्रिय रूप से तलाशने, उनका पीछा करके उन पर घात लगाकर हमला करने एवं दुश्मनों से बचाने के लिए छलांग के उपयोग में सहायता प्रदान करती है।

व्यवहार

  • शिकारी: ये मुख्य रूप से हेमिप्टेरा, हाइमेनोप्टेरा, और डीप्टेरा गण के कीटों का शिकार करती हैं।
  • घात लगाकर शिकार: ये अक्सर पत्तियों या फूलों पर छिपकर शिकार की प्रतीक्षा करती हैं
  • तेज दौड़: ये अपने शिकार का पीछा करने के लिए तेजी से दौड़ सकती हैं और यहां तक कि उड़ने वाले कीड़ों को पकड़ने के लिए कुछ सेंटीमीटर हवा में छलांग लगाती है
  • मातृ देखभाल: इन मकड़ियो के द्वारा दिए गए अंडे एगसेक छोटी वनस्पतियो के शीर्ष से जोड़ा जाता हैं एवम मादा लिंक्स मकड़ियाँ एगसेक के स्पूटन तक अंडों की रक्षा करती हैं।

नई खोज का महत्व

  • यह खोज भारतीय जैव विविधता को समृद्ध करती है और वैज्ञानिकों को इस अद्भुत प्राणी के बारे में अधिक जानने का अवसर प्रदान करती है।
  • यह मकड़ी वन पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • इस खोज से तालछापर वन्यजीव अभ्यारण्य को एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक महत्व मिलता है।

मकड़ी की विशेषताएं

  • यह मकड़ी हरे रंग की होती है जो इसे पेड़ों की पत्तियों में छिपने में मदद करती है।
  • इसके लंबे पैर इसे तेज़ी से शिकार का पीछा करने में सहायता प्रदान करती है।
  • यह दिन के समय सक्रिय होती है और छोटे कीड़ों का शिकार करती है।
  • यह मकड़ी अत्यधिक गर्म और ठंडी जलवायु परिस्थितियों में भी जीवित रह सकती है।

नामकरण

इस मकड़ी की प्रजाति का नाम “प्यूसेटिया छापराजनिरविन” रखा गया है।

  • छापराज” शब्द खोज स्थल के नाम पर आधारित है जो कि छापर एवम राजस्थान से लिया गया है।
  • निर” निर्मला कुमारी और “विन” डॉ. विनोद कुमारी के नाम के पहले अक्षरों से लिया गया है।

शारीरिक पहचान

  • आकार: सामान्यतः इनका आकार 4-25 mm होता है, किन्तु प्यूसेटिया छापराजनिरविन का आकार 11.2mm पाया गया है।
  • रंग: इनका रंग प्रायः चमकीले हरे से पीले भूरे रंग तक होती हैं, जिससे कारण यह अपने आसपास के वातावरण में आसानी से घुल-मिल जाती हैं। प्यूसेटिया छापराजनिरविन के शिरोवक्ष का रंग  हल्का भूरा एवं उदर का रंग हल्का हरा पाया गया है।
  • आँखें:  प्राय: इन मकड़ियों की तेज दृष्टि उनकी आठ आंखें के कारण होती है जिनमे से छह समान आकार की आंखें जो शीर्ष पर एक षट्भुज बनाती हैं  एवम एक जोड़ी आंखें चेहरे के सामने षट्भुज के नीचे स्थित होती हैप्यूसेटिया छापराजनिरविन के  आंखों की आगे की पंक्ति प्रतिवक्रित जिसमें आगे मध्य की आंखें छोटी तथा पार्श्व की सबसे बड़ी होती है पीछे की पंक्ति की  सभी आंखें समान आकार तथा अग्रवक्रित होती है।
  • टांगें: सामान्यतः लिंक्स मकड़ियों की टांगें लंबी, काँटेदार स्पाइन्स युक्त होती हैं, जो शिकार को पकड़ने, तेजी से दौड़ने में मदद करती हैं। प्यूसेटिया छापराजनिरविन की मजबूत टांगे पीले भूरे रंग की तीन टारसल नखर युक्त होती है जिसका पाद सूत्र 1243 होता है।
  • आंतरिक जननांग: प्यूसेटिया छापराजनिरविन के आंतरिक जननांग में दो गोलाकार स्पर्मेथिका युक्त होती है जो कि विशिष्ट मैथुन वाहिनी एवम निषेचन वाहिनी युक्त होती हैं।

तालछापर वन्यजीव अभयारण्य

तालछापर वन्यजीव अभ्यारण्य 7.19 km2 में फैला हुआ है जो कि काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर लगभग 4958 हिरणो के साथ ही साथ चिंकारा, नील गाय, जंगली सूअर, जंगली बिल्ली, मरू बिल्ली, कॉमन फॉक्स, डेजर्ट फॉक्स , सियार, भेड़िया, शिकारी पक्षी , मोर, सांडा व खरगोश जन्तुओ के साथ मोथिया घास, बबूल, देशी बबूल, कैर, जाल, रोहिड़ा, नीम, खेजड़ी आदि वनस्पतियो की प्रजातियां भी पायी जाती है। इसलिए यह अभ्यारण्य प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव उत्साही लोगों के लिए एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।

यह खोज निश्चित रूप से भारत के वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण योगदान देगी।

References

  • Kumari, N., Kumari, V., Bodhke, A. K. and Zafri, A. H. (2024). New species of genus Peucetia Thorell, 1869 (Araneae: Oxyopidae) from India. Serket  20(2): 73-77.

Authors

Dr. Vinod Kumari (Left) is an accomplished Associate Professor at the University of Rajasthan, Jaipur, and is renowned for her work in sustainable agriculture and environmental conservation. Her research focuses on biological pest control using natural agents and green nanoparticles, reducing the need for harmful chemicals. Ms Nirmala Kumari (Right), a research scholar under Dr. Vinod Kumari, is studying spider diversity in Taal Chhaper Wildlife Sanctuary, Rajasthan. During her research, she discovered a new species of green lynx spider, named Peucetia chhaparajnirvin, which has been officially recognized and included in the World Spider Catalog.

Portia Jumping Spiders

Portia Jumping Spiders

हिंदी में पढ़िए

Portia spiders are small jumping spiders that belong to the Salticidae family. They are among the most intelligent arthropods because they hunt other hunters. This is possible because Portia spiders are skilled at creating and executing complex hunting strategies. While some spiders wait for prey in their silk webs, Portia spiders are active hunters. They stalk their prey and then pounce on them.

It has been observed that when this spider needs to kill another spider that builds webs, it tricks it by creating vibrations that mimic the struggles of trapped prey. The web-building spider thinks that something is caught in its web and comes out to investigate, giving Portia the opportunity to attack. Moreover, Portia spiders are known to exhibit social behaviors, which is not common among Salticidae spider species. I encountered this spider at Sawai Madhopur (Rajasthan).

Portia Jumping Spider

Portia spiders are active hunters. They stalk their prey and then pounce on them.

 

Portia

The most intelligent arthropods

 

Portia Jumping Spiders

सबसे बुद्धिमान आर्थ्रोपॉड में शामिल एक मकड़ी की बात

पोर्टिया मकड़ियाँ एक छोटी जंपिंग स्पाइडर है। जो साल्टिसिडे परिवार से संबंधित हैं। ये मकड़ी सबसे बुद्धिमान आर्थ्रोपॉड में से एक हैं। क्योंकि पोर्टिया मकड़ियाँ शिकारी का शिकारी करती हैं। वह तभी संभव है जब आप जटिल शिकार रणनीतियों की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने माहिर हो।  कुछ मकड़ियां अपने रेशम का जाला बनाकर इंतज़ार करती है, परंतु यह पोर्टिया मकड़ियाँ सक्रिय शिकारी होती हैं जो अपने शिकार का पीछा करती हैं और उस पर झपट्टा मारती हैं। देखा गया है की जब इस मकड़ी को एक जाला बनाने वाली मकड़ी मारनी होती है, तो वह उसे झांसा देकर अपने पास बुलाती है।  यह उसके जाले में अपनी पतली टांगों से एक कंपन पैदा करती है, यह जाले वाली मकड़ी को लगता है कोई कीट उसके जाले में फंसा है।जाले वाली मकड़ी छिपे स्थान से बाहर आती है और फिर यह उस पर हमला कर देती है। इसके अलावा पोर्टिया प्रजातियाँ सामाजिक व्यवहार प्रदर्शित करने के लिए जानी जाती हैं जो आमतौर पर इन साल्टिसिडे मकड़ियों में नहीं देखी जाती हैं। यह मकड़ी मुझे सवाई माधोपुर (राजस्थान) में  देखने को मिली।

Portia

सबसे बुद्धिमान आर्थ्रोपॉड में से एक मकड़ी (फोटो: धर्मेन्द्र खांडल)

 

Portia Jumping Spider

पोर्टिया मकड़ियाँ सक्रिय शिकारी होती हैं जो अपने शिकार का पीछा करती हैं और उस पर झपट्टा मारती हैं (फोटो: प्रवीण)