
काईरोप्टेरोफेजी: एक शिकारी और शिकार की कहानी
साँप और चमगादड़, प्रकृति के दो पहरेदार! दोनों ही विचित्र, दोनों ही रहस्यमय। सांप, रेंगने वाले रहस्य के प्रतीक, भूमि के अंधेरे कोनों में छिपे रहते हैं, अपने शिकार की प्रतीक्षा करते हैं। दूसरी ओर, चमगादड़, अंधेरे आकाश के स्वामी, चुपचाप अपने पंखों की सहायता से उड़कर शिकार की तलाश करने वाले एकमात्र स्तनधारी जीव हैं।
इन दोनों प्राणियों में एक अद्भुत समानता है – निशाचर जीवन। रात की खामोशी में ही इनकी दुनिया जीवंत होती है। लेकिन क्या आपने कभी कल्पना की है, क्या ये दोनों कभी एक दूसरे के जीवन का हिस्सा बन सकते हैं? क्या उनके रास्तों में कभी कोई दिलचस्प मोड़ आ सकता है? क्या ये दो अलग-अलग दुनिया एक दूसरे पर निर्भर हो सकती हैं?
यहाँ एक और दिलचस्प पहलू उभरता है: ‘काईरोप्टेरोफेजी’। यह शब्द, चमगादड़ों को खाने की क्रिया को दर्शाता है। यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि कुछ साँप प्रजातियाँ, अवसर मिलने पर, चमगादड़ों का शिकार करती हैं। गुफाओं के अंधेरों में, जहाँ चमगादड़ आश्रय लेते हैं, वहाँ साँपों का छिपकर घात लगाना, प्रकृति के एक अनोखे दृश्य को उजागर करता है।
शाट्टी (Schatti, 1984) ने सर्वप्रथम इस जटिल शिकारी-शिकार संबंध पर प्रकाश डाला है। उन्होंने विशेष रूप से गुफाओं में रहने वाले साँपों की कुछ प्रजातियों को चमगादड़ों का शिकार करते हुए देखा और दर्ज किया। उनके शोध ने यह दर्शाया कि कुछ साँप, गुफा की दीवारों या छत से लटके हुए चमगादड़ों पर हमला करने के लिए अनुकूलित हो गए हैं, और उनकी विशेष शारीरिक संरचना और शिकार करने की तकनीकें उन्हें चमगादड़ों को पकड़ने में मदद करती हैं।
इसके बाद, विश्व स्तर पर हुए कई अध्ययनों से पता चलता है कि सांपों द्वारा चमगादड़ों का शिकार, कई साँप प्रजातियों में सामान्य है। ऐसे मामलों का वैज्ञानिकों द्वारा विश्लेषण करने पर 20 से अधिक सांप प्रजातियों को चमगादड़ों का शिकार करते हुए पाया गया। जिनमें मुख्यतः बोआ परिवार (बोइड्स) में यह अधिक देखा गया।
परन्तु, भारत में साँप-चमगादड़ अंतःक्रियाएँ अभी भी प्रकृति के अंधेरे कोनों में छिपी हैं। भारत में चमगादड़ों (127 प्रजातियाँ) और साँपों (लगभग 302 प्रजातियाँ) की एक समृद्ध विविधता है, लेकिन फिर भी इनकी पारिस्थितिक अंतःक्रियाओं के प्रकाशित विवरण किसी अनसुनी कहानी के बिखरे हुए पन्ने की तरह खोये हुए हैं।
हालाँकि, चमगादड़ों का शिकार करते हुए साँपों को देखना मुश्किल काम है, क्योंकि ऐसा बहुत कम होता है। और इसके लिए हमें ऐसी जगहों पर जाना पड़ता है जहाँ चमगादड़ रहते हैं, जो आमतौर पर दुर्गम या दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित होते हैं, मानो प्रकृति इन रहस्यों को अपनी गहरी गुफाओं में छिपाकर रखना चाहती हो।
यहाँ हम आपसे राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों से दर्ज हुए ऐसे ही कुछ मामलों को साझा करने जा रहे हैं।
कोबरा द्वारा फलभक्षी चमगादड़ शिकार
अप्रैल 2018 में, राजस्थान के सवाई माधोपुर में रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के पास एक होटल के नजदीक, एक कोबरा (Naja naja) एक फलभक्षी चमगादड़ (Cynopterus sphinx) को निगलता हुआ देखा गया। यह घटना एक खुले क्षेत्र में घटी, जिससे अनुमान लगाया गया कि चमगादड़ शायद चंपा के पेड़ (Plumeria rubra) पर आराम कर रहा था। कोबरा को, चमगादड़ को उसके मुंह की तरफ से निगलते हुए देखा गया, और तस्वीरें सुरक्षित दूरी से ली गईं, ताकि वह उसे उल्टी न कर दे। ऐसे दृश्य, अक्सर हमारी नज़रों से ओझल रहते हैं, और यह हमें याद दिलाते हैं कि प्रकृति का हर क्षण अपनी एक अलग कहानी कहता है।
रैट स्नेक द्वारा शिकार के प्रयास
सितंबर 2020 में, राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के मैनाल के पास, एक प्राचीन मंदिर कई प्रकार के चमगादड़ प्रजातियों का घर है, जिनमें ब्लैक बेयरडेड टॉमब बैट (Taphozous melanopogon), नैकड-रम्पड टॉमब बैट (Taphozous nudiventris) और लेसर माउस-टेलड़ बैट (Rhinopoma hardwickii) शामिल थे। मंदिर के एक कमरे में, एक भारतीय धामन साँप (Ptyas mucosa) दीवार के एक टूटे हुए हिस्से के पास मौजूद देखा गया। वह साँप, ज़मीन से लगभग 5 फीट ऊपर, और दीवार के खुले हिस्से से करीब डेढ़ फीट की दूरी पर लटके हुए एक चमगादड़ को पकड़ने का प्रयास कर रहा था। मानो, एक प्राचीन मंदिर की दीवारों के बीच, जीवन और मृत्यु का एक छोटा सा नाटक खेला जा रहा था। साँप अपनी पूरी कोशिश कर रहा था, पर अंत में, उसकी कोशिश नाकाम रही। हमारी उपस्थिति के कारण, उसे दीवार के अंदर वापस छिपना पड़ा।
सारांश यह की प्राचीन संरचनाएँ न केवल इतिहास की कहानियाँ सुनाती हैं, बल्कि प्रकृति के अनगिनत रहस्यों को भी अपने भीतर समेटे हुए हैं।
फ्रॉस्टेन कैट स्नेक की उपस्थिति
मई 2023 में, भैंसरोड़गढ़ वन्यजीव अभयारण्य के पाडाझर झरने (चित्तौड़गढ़) में, एक चूना पत्थर की गुफा के भीतर लगभग 15 फीट ऊपर एक लटकी हुई चूना पत्थर की दीवार पर दो फ्रॉस्टेन कैट स्नेक (Boiga forsteni) आराम करते हुए देखे गए। उसी गुफा में दो प्रकार के चमगादड़ भी मौजूद थे: ब्लैक बेयरडेड टॉमब बैट (Taphozous melanopogon) और लेसर माउस-टेलड़ बैट (Rhinopoma hardwickii)। यहाँ एक दिलचस्प बात देखने को मिली – जिस दीवार पर साँप थे, वहाँ चमगादड़ नहीं थे, शायद तेज़ रोशनी या साँपों की उपस्थिति के कारण। साँपों की चालें बहुत ही धीमी और सतर्क थीं।
वहीं पास में मौजूद एक और चूना पत्थर की गुफा थी जिसके अंदर शिव मंदिर बनाया गया था और पूजा-पाठ की दैनिक क्रिया के कारण गुफा की दीवारें काली पद गई थी। इस मंदिर में लेसर माउस-टेलड़ बैट की एक बड़ी आबादी थी, जहाँ अप्रैल 2018 में भी एक ऐसे ही साँप को देखा था, जो फ्रॉस्टेन कैट स्नेक जैसा लग रहा था, लेकिन उसकी पहचान पूरी तरह से नहीं हो पाई थी।
चूना पत्थर की ऊबड़-खाबड़ दीवारें साँपों के शिकार के लिए कई दरारें प्रदान करती है, और ये दृश्य हमें बताते हैं कि कैसे गुफाएँ सिर्फ पत्थर नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु के अनगिनत नाटकों का मंच हैं, जहाँ शिकारी और शिकार एक साथ रहते हैं।
फ्रॉस्टेन कैट स्नेक द्वारा रणनीतिक स्थान का चुनाव
अगस्त 2023 में, राजस्थान के बारां जिले में स्थित शाहबाद किले में भी एक फ्रॉस्टेन कैट स्नेक को किले के एक विशाल कक्ष के प्रवेश द्वार पर देखा। हैरानी की बात यह थी कि साँप ने अपनी रहने की जगह एक पुराने दरवाज़े के चौखट के ऊपर बनाई थी, जो अपने आस-पास के वातावरण से थोड़ी ही दूरी पर था। साँप के केंचुली की मौजूदगी से पता लग रहा था कि साँप इस स्थान पर नियमित रूप से आता है। यह स्थान उड़ते हुए चमगादड़ों को घात लगाकर पकड़ने के लिए एक रणनीतिक शिकारगाह की तरह प्रतीत हो रहा था।

शाहबाद के किले में चमगादड़ के साथ मौजूद फ्रॉस्टेन कैट स्नेक (फ़ोटो: डॉ धर्मेन्द्र खांडल)
राजस्थान के इन दृश्यों से साँप और चमगादड़ों के बीच एक छिपा संबंध दिखाई देता है। ये हमें बताते हैं कि प्रकृति में अभी भी बहुत कुछ जानना बाकी है। हर जीव ज़रूरी है, और संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इस रिश्ते को और समझने के लिए और शोध की ज़रूरत है, और हमें इन जीवों के घरों की सुरक्षा करनी चाहिए। प्रकृति में हर जीव का सम्मान करना ज़रूरी है।