ये दोनों ही इतनी छोटे आकर के हैं की इन्हें मात्र प्रशिक्षित लोग ही इन्हें सही तरह से पहचान सकते हैं। पिछले दिनों राजस्थान में मिलने वाले थ्रेड स्नैक्स पर एक सर्प विशेषज्ञ श्री विवेक शर्मा द्वारा एक अध्ययन किया गया। उन्होंने राजस्थान में 4000 किलोमीटर की एक दुष्कर यात्रा की जिसका उद्देश्य था, उपेक्षित सांपों पर शोध कार्य करना जैसे थ्रेड स्नेक आदि को उनके विभिन्न परिवेशों में देखना- जिनमें रेगिस्तान, उजाड़, खुले वन, मानव विकसित एवं परिवर्तित पारिस्थितिक तंत्र इत्यादि शामिल थे। यह प्रयास वह एक लम्बे शोध अध्ययन के पूर्व में उसकी ज़रूरत को देखने लिए कर रहे थे ताकि अपने शोध के उद्देश्य निर्धारित कर सके। जबलपुर, मध्य प्रदेश के रहने वाले श्री विवेक शर्मा, सांपों की टेक्सोनोमी एवं उनकी पहचान में माहिर हैं। टैक्सोनॉमी पृथ्वी पर सभी जीवित जीवों को वर्गीकृत (छँटाई और वर्गीकृत) करने के लिए उपयोग की जाने वाली एक प्रणाली है। उन्होंने भारतीय सांपों को नए स्थानों पर खोजने एवं सांपों की एकदम नयी प्रजातियों की खोज पर कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शोधपत्र प्रकाशित किये हैं।
अक्सर किसी भी प्राणी की प्रजाति का सही नाम जान लेना एक अत्यंत दुष्कर कार्य हैं। यह काम हमारे लिए आसान करते हैं टैक्सनॉमिस्ट (Taxonomist)। टैक्सनॉमिस्ट जीवित प्राणियों को वर्गीकृत करने का कार्य करते हैं। टेक्सोनोमी “जीवन” के लिए एक पुस्तकालय की तरह है, जिसमें पूरी दीवारें अलमारियों में विभाजित हैं, फिर अलमारियों के भीतर अलग अलग खाने, फिर उसके भीतर किताबें, और अंत में प्रत्येक प्रजाति के लिए एकल पन्ना।
विवेक शर्मा ने अचानक एक दिन मुझे फोन किया की आप यदि सिंध थ्रेड स्नेक (Myriopholis blanfordi) को देखना चाहते हैं और आज के दिन समय निकाल सकते हैं तो राजस्थान के अजमेर जिले में आ जाये। जब में वहां पहुंचा तो उन्होंने बताया की एक स्थान पर निर्माण कार्य चल रहा है और यहाँ कुछ अच्छी संभावनाएं हैं, विवेक बोले हम इस स्थान पर कुछ सिंध थ्रेड स्नेक पहले ही देख चुके हैं और स्थानीय सज्जनों ने भी ऐसे किसी गुलाबी रेंगने वाले “कीड़े” को कभी कभार देखने की बात की है। कुछ समय में खुदाई करने वाले मजदूरों ने एक सांप को उठा कर दूर किया, जिसको विवेक शर्मा ने सावधानीपूर्वक अवलोकन कर पाया की यह सिंध थ्रेड स्नेक ही हैं, इसे देखना मेरे लिए एक अवसर जैसा था। साथ ही उसने कहा की इसके खोजकर्ता के बाद और आजादी के पहले यहां काम कर रहे विदेशी जीव वैज्ञानिकों के बाद से इसे किसी ने ठीक से पहचानने का कार्य स्वतंत्र भारत में अभी तक किसी ने नहीं किया हैं।
उसने बताया की कुछ लोग दावा करेंगे की उन्होंने इसे देखा हैं परन्तु थार मरुस्थल में एक और थ्रेड स्नेक प्रजाति मिलती हैं जिसे इसकी सहोदर प्रजाति (sibling species) कह सकते है। यानी दो या दो से अधिक प्रजातियां जो दिखने में लगभग समान हैं, फिर भी आपस में प्रजनन नहीं करती हो उन्हें सहोदर या गुप्त प्रजाति कहा जाता है। यह प्रोटोजोआ से लेकर हाथियों तक के सभी जीवों में देखा गया है। अपनी संरचनात्मक समानता को बनाए रखते हुए, ऐसी प्रजातियों सूक्ष्म शारीरिक और व्यवहारिक रूप से निसंदेह अलग भी होती हैं। ऐसी प्रजातियों के प्रजनन व्यवहार, फेरोमोन, मौसमी, या अन्य विशेषताओं में अंतर होते हैं जो इन प्रजातियों की अलग पहचान बनाए रखते हैं।
मैंने श्री विवेक से पूछा तो क्या थार में थ्रेड स्नेक की कोई अन्य प्रजाति भी मिलती हैं ?
विवेक बोले बिलकुल मिलती हैं। और देखना आपको में एक बार मेरी यात्रा के दौरान फिर बुलाऊंगा। यही हुआ, कुछ दिनों बाद विवेक ने कहा आप जोधपुर आये आपको नया थ्रेड स्नेक देखने को मिलेगा।उसी तरह रोड के पास देखा अन्य प्रजाति का बीकड थ्रेड स्नेक (Myriopholis macrorhyncha)। देखने में बिलकुल सिंध थ्रेड के समान परन्तु मुँह के सामने ध्यान से देखने पर आपको मुँह आगे चोंच की तरह निकला हुआ हिस्सा (रोस्ट्राल), जो इसे सिंध थ्रेड स्नेक से अलग प्रजाति बनाता हैं।
जब और अधिक अंतर जानने का प्रयास किया तो विवेक बोले यह काम सांप पर काम करने वालो का हैं जो इतने छोटे सांपों को मात्र सूक्ष्मदर्शी से ही पहचान सकते हैं, मोटे तौर पर आप इतना ध्यान रखे की जो गुलाबी रंग का अधिक चमकदार हैं स्नेक हैं वह थ्रेड स्नेक या स्लेंडर ब्लाइंड स्नेक हैं, और गहरे भूरे रंग के ब्लाइंड स्नेक हैं। साथ ही बताया की किस प्रकार थ्रेड स्नेक के कपाल और ऊपरी जबड़े स्थिर होते हैं और ऊपरी जबड़े में कोई दांत नहीं होते है। निचले जबड़े में बहुत लम्बी चतुष्कोणीय हड्डी, एक छोटी यौगिक हड्डी और अपेक्षाकृत बड़ी दांतेदार हड्डी होती है।जबकि ब्लाइंड स्नेक में ऊपरी जबड़े में दांत होते हैं। ब्लाइंड स्नैक्स में निचले जबड़े की जोड़-तोड़ अन्य सर्पों की तरह खुलते नहीं हैं जो उसे अपने मुँह से छोटे शिकार करने के लिए बाध्य करते हैं। इसलिए कहते हैं यह सांप प्रजाति अपने शिकार को टुकड़े टुकड़े कर के खाते हैं, अन्य सर्पों की भाँति उन्हें निगलते नहीं हैं। खैर यह व्यवहार भी किसी प्रयोगशाला में ही देखा जा सकता है.
आगे विवेक थोड़ा रुक कर बोले “राजस्थान में थ्रेड स्नेक एवं ब्लाइंड स्नेक की कई प्रकार की ज्ञात प्रजातियां पायी जाती हैं एवं कई अज्ञात प्रजातियां होने की भी पूरी सम्भावना हैं।जब समझ नहीं आये तो यह बोले की यह एक थ्रेड स्नेक हैं – सिंध हैं या बीकड पता नहीं। बस आप एक सुधि शोधार्थी की तरह व्यवहार करें।”