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राजस्थान के धागे जैसे पतले थ्रेड स्नैक्स (Thread snake)

लोगो का सांपों के प्रति दो प्रकार से व्यवहार देखा गया है, कुछ लोग इनसे अत्यंत लगाव रखते हैं और हर मौके पर सांपों की चर्चा करते हुए नहीं थकते हैं, और दूसरे वे जो केंचुओं जैसे दिखने वाले निरीह ब्लाइंड...

राजस्थान के अंतिम जंगली चीता की कहानी

कई विवादों और शंकाओं के बीच भारत देश में अब चीता को पुनः स्थापित किया जाने वाला हैं। राजस्थान राज्य के कुछ क्षेत्र भी इसके लिए उपयुक्त माने गए हैं। परन्तु क्या आप जानते हैं की राजस्थान में अंतिम...

आम की बारहमासी फल देने वाली राजस्थान की एक किस्म – ‘सदाबहार’ 

  क्या कोई यह  विश्‍वास करेगा की राजस्थान के एक किसान ने  आम की एक ऐसी नई किस्म विकसित की हैं जो वर्ष में तीन बार फल देती है।   राजस्थान के  कोटा शहर के पास गिरधरपुरा गांव के  रहने वाले किसान...

राज्यों की बायोजियोग्राफी के आधार पर हुई आंवल-बांवल की ऐतिहासिक संधि

  सन 1453 में , एक दूसरे के धुर विरोधी, मेवाड़ के महाराणा कुम्भा और मारवाड़ के राव जोधा को एक जाजम पर बैठा कर बात तो करा दी गई, परन्तु तय होना बाकि था, कि मेवाड़ और मारवाड़ की सीमा कहाँ तक...

राजस्थान की वन्यजीवों से टक्कर लेने वाली गाय की नस्ल : ‘नारी’

  राजस्थान में गाय की एक नस्ल मिलती है जिसे कहते है 'नारी', शायद यह नाम इसकी नाहर (Tiger) जैसी फितरत होने के कारण पड़ा है। सिरोही के माउंट आबू  क्षेत्र की तलहटी में मिलने वाली यह माध्यम आकर की...

वेडर्स ऑफ द इंडियन सबकॉन्टीनैन्ट: भारतीय उपमहाद्वीप के परिप्रक्ष में एक बेहतरीन सन्दर्भ ग्रन्थ

जलाशयों के किनारे-किनारे, जल रेखा व कीचड़युक्त आवास को पसंद करने वाले पक्षियों को ‘‘वेडर्स’’ नाम से जाना जाता है। इस वर्ग के पक्षी तैरते नहीं हैं बल्कि पानी के किनारे-किनारे या कुछ दूर पानी या कीचड़...

कार्वी: राजस्थान के फूलों की रानी

कर्वी (Storbilanthescallosa) दक्षिणी अरावली की कम ज्ञात झाड़ीदार पौधों की प्रजाति है। यह पश्चिमी घाट और सतपुड़ा पहाड़ियों में एक प्रसिद्ध प्रजाति है, लेकिन राजस्थान के मूल निवासियों से ज्यादा परिचित...

वन्य जीवों के रक्षक :  रणथम्भौर के रेस्क्यूमैन

"वन्य जीव संरक्षण में रेस्क्यू करने वालों का हमेशा से ही एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है जो अपनी जानपर खेल कर मुश्किल में फसे वन्यजीवों को सुरक्षित निकालकर उनकी व स्थानीय लोगों की रक्षा करते हैं  | ऐसे...

पाना – पाना में पानरवा !! “फुलवारी अभ्यारण की एक रोमांचक यात्रा”

अगस्त 1986 में एक दिन कमलनाथ पर्वत और फिर जाडापीपला गांव से जंगलों की पैदल यात्रा करता हुआ मैं ढाला गाँव पहुँचा | यहाँ से पानरवा पहुँचने के लिये एक ऊँचा पर्वत चढकर और फिर एक दूसरे पहाड के बीच से एक...

राजस्थान में सर्पदंश से जुड़े मुद्दे और मुश्किलें

राजस्थान देश का विशालतम राज्य है, जहाँ हर वर्ष हज़ारों लोग सर्प दंश से मारे जाते है। सांपो के बारे में कुछ लोग अज्ञानतावश और कई लोग अपने स्वार्थ के लिए भ्रामक जानकारियां फैला रहे हैं। पास के एक गांव...

कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य कितने करोड़ों की सेवाएं देता है ?

"जंगल असीम प्रेम के स्रोत हैं। यह सभी को सुरक्षा देते हैं ये उस कुल्हाड़ी को भी लकड़ी का हत्था देते है, जो जंगल को काटने के काम आती है। "  (भगवन बुद्ध) राजस्थान के करौली जिले की अर्ध-शुष्क विंध्य...

घर-घर औषधि योजना: आमजन के स्वास्थ्य के लिए सरकार की एक पहल

हाल ही में राजस्थान सरकार ने आमजन के स्वास्थ्य को सुरक्षित करने के लिए "घर-घर औषधि योजना" का प्रारम्भ किया है जिसके अंतर्गत औषधीय पौधों को आम जनता में निशुल्क वितरित किया जाएगा ताकि जब भी आमजन को...

रणथम्भौर में अनाथ बाघ शावकों का संरक्षण

बाघिन के  मर जाने पर उसके बच्चों को पिता के रहते हुए भी अनाथ मान लिया जाता था और उनके बचने की सम्भावना को बहुत ही निम्न माना जाता था। ऐसे में रणथम्भौर के वन प्रबंधकों ने कठिन और चुनौतियों से भरी...

सरिस्का की समग्र सफलता का रास्ता और कितना लम्बा?

क्या सरिस्का में बाघों की संख्या में हुई वृद्धि इसकी समग्र सफलता का एक पैमाना हो सकती है ? या फिर अभी भी सरिस्का को एक सतत पारिस्थितिक तंत्र बनने के लिए काफी लम्बा सफर तय करना है ? हाल ही में...

कार्वी: आठ साल में फूल देने वाला राजस्थान का अनूठा पौधा

कार्वी, राजस्थान का एक झाड़ीदार पौधा जिसकी फितरत है आठ साल में एक बार फूल देना और फिर मर जाना… कार्वी एक झाड़ीदार पौधा है जिसे विज्ञान जगत में "स्ट्रोबाइलैंथस कैलोसा (strobilanthes callosa)" कहा जाता...

वन्यजीवों की सेवा के लिए मैं हूँ, सदैव तत्पर

"आइये जानते हैं श्री सोहनराम जाट के बारे में, एक ऐसे वनरक्षक के बारे में जिन्हें अपने परिवार से ज्यादा प्यारे हैं वन्यजीव और जो 365 दिन रहते हैं ऑन ड्यूटी..." राजस्थान के चुरू जिले के सुजानगढ़ तहसील...

महामारी के दौर में कैसे रहें? मोर से सीखे कुछ सबक !!

जाने कैसे खुद को बिमारी के संक्रमण से बचाने के लिए मोर करते हैं सोशल डिस्टेंसिंग और बन जाते हैं आत्मनिर्भर… भारतीय मोर सदियों से राजस्थानी परिदृश्य का एक विशेष अंग रहा है, जहाँ एक ओर राजस्थानी...

पार्थीनियम: शुष्क प्रदेश के लिए एक अभिश्राप

"पार्थीनियम " आज राजस्थान की दूसरी सबसे अधिक आक्रामक तरीके से फैलने वाली एक खरपतवार है जो यहाँ के आवासों, स्थानीय वनस्पत्तियों और वन्यजीवों के लिए मुश्किल का सबब बनती जा रही है … जलवायु परिवर्तन के...

कैमरा ट्रैपिंग के माहिर वनरक्षक: भैराराम बिश्नोई

"भैराराम, एक ऐसे वनरक्षक जिन्हें कैमरा ट्रैपिंग कर वन्यजीवों की गतिविधियों की निगरानी करने तथा स्कूली छात्रों को वन्यजीवों के बारे में जागरूक करने में है अटूट रूचि"। अप्रैल 2020 में, जब पूरा विश्व...

आखिर क्या होते हैं “प्राणी प्रमाण” ?

हम जब वन क्षेत्र मे जाते हैं तो उस प्राकृतिक आवास के वन्य प्राणी हमें कहीं न कहीं, किसी न किसी जैविक गतिविधि में लिप्त नजर आते हैं। हर प्राणी, हर जगह एवं हर समय दिखाई नहीं देता। प्रत्येक वन्य प्राणी...

श्रीमतीजी जो आपका आदेश: एक पीड़ित नर “बटनक्वेल”

जानते है किस प्रकार पक्षी समूह "बटनक्वेल" में नर और मादा अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियाँ निभाते है... हम सभी जानते हैं कि, पक्षी जगत में नर, मादा की अपेक्षा अधिक सुंदर और चटकीले रंगों का होता है और...

गोडावण के संरक्षण के लिए तैनात पहली महिला वनरक्षक

सुखपाली, एक ऐसी महिला वनरक्षक जिसने सुदासरी जैसे कठिन परिस्थितियों वाले क्षेत्र में अकेले रहकर उठाई गोडावण के संरक्षण की जिम्मेदारी... राजस्थान के राष्ट्रीय मरु उधान (Desert National Park) को विश्व...

सरिस्का: आखिर क्या है टाइगर रिजर्व में बाघों की क्षेत्र सीमाओं का प्रारूप ?

वैज्ञानिकों और बाघ प्रेमियों में हमेशा से यह एक चर्चा का विषय रहा है कि, आखिर बाघ का इलाका औसतन कितना बड़ा होता है? इस विषय पर प्रकाश डालते हुए राजस्थान के वन अधिकारियों द्वारा सरिस्का के सभी बाघों...

ऊदबिलाव और कुत्तों के बीच संघर्ष

स्मूद कोटेड ओटर (Lutrogale perspicillata), एशिया में पाए जाने वाला सबसे बड़ा ऊदबिलाव जो नदी के स्वच्छ जल में निवास करते हैं। परन्तु आजकल वन क्षेत्रों के आसपास बढ़ती मानव आबादी के कारण आवारा कुत्तों की...

राजस्थान में मिलने वाले दुर्लभ पक्षी “व्हाइट-नेप्ड टिट” का वितरण

व्हाइट-नेप्ड टिट (Parus nuchalis) भारत की एक स्थानिक पक्षी प्रजाति है जिसकी वितरण सीमा बहुत ही छोटी है जो देश के केवल पश्चिमी और दक्षिणी हिस्से में सीमित है। राजस्थान में यह अनेक हिस्सों में मिलती...

राजस्थान में विशाल आकार के वृक्ष, झाडियां एवं काष्ठ लतायेंः एक विवेचन

दुनियाँ में पक्षी अवलोकन (Bird watching or birding), साँप अवलोकन (Snake watching), वन्यजीव छायाचित्रण (Wildlife Photography),  वन भ्रमण (Jungle trekking), जंगल सफारी (Jungle safari), पर्वतारोहण...

कॉमन ट्री फ्रॉग का रहस्यमयी जीवन

सीतामाता अभयारण्य में पाए जाने वाला कॉमन ट्री फ्रॉग एक ऐसी मेंढक प्रजाति है जो अन्य मेंढकों की तरह पानी में नहीं बल्कि पेड़ पर रहना ज्यादा पसंद करती है। प्रस्तुत आलेख द्वारा जानिये इसके बारे में…...

वन रक्षक 5: वन्यजीव प्रेमी एवं रक्षक: स्वरूपाराम गोदारा

स्वरूपाराम, एक ऐसा वन रक्षक जिसने न सिर्फ जंगल की आग बुझाकर वन्यजीवों की जान बचाई है बल्कि अपनी जान पर खेल कर अपने साथियों की भी रक्षा करी… रेतीले धोरों की धरती बाड़मेर के एक छोटे से गांव खोखसर में...

राजस्थान में जंगली मुर्गे (Grey Jungle Fowl) का वितरण

राजस्थान के जंगली मुर्गे (Grey Jungle fowl Gallus sonneratii) पर अग्रवाल (1978,1979), अनाम (2010), अली एवं रिप्ले (1983), ओझा (1998), सहगल (1970), शर्मा (1998, 2007, 2017), तहसीन एवं तहसीन (1990) के...

वन रक्षक 4: “आई लव माई खेतोलाई”: कमलेश बिश्नोई

कमलेश, बिश्नोई समाज का वह बालक जिसने अपने दादाजी के साथ ऊंट चराते हुए वन्यजीवों के बारे में सीखा और आज वन-रक्षक बन गोडावण सहित अन्य वन्यजीवों की रक्षा कर रहा है "आई लव माई खेतोलाई", खेतोलाई राजस्थान...

सियार, उसका शिकार और सतर्कता

रणथम्भोर के मुख्य बाघ क्षेत्र में जहाँ सिर्फ बाघों का दबदबा है में सियार (Golden Jackal) जैसे कुछ छोटे शिकारी बड़ी ही चतुराई और सतर्कता से रहते हैं। सियार मुख्यरूप से मरे हुए जानवरों को खाते हैं तो...

राजस्थान के संरक्षित क्षेत्र

मनुष्यों द्वारा मुख्यतः खेती और वनों के लिए भूमि उपयोग से भूमि का परिदृश्य बदल रहा है। आज, समस्त भूमि का एक तिहाई हिस्सा अपना मूल स्वरूप या तो खो चुका है या खोना जारी है, जिसके परिणामस्वरूप जैव...

वन रक्षक 3: रेस्क्यू क्वीन: अंजू चौहान

अंजू, एक वन रक्षक की बेटी जिसे पूरा सिरोही जिला रेस्क्यू क्वीन के नाम से जानता है और जिसने अपनी सकारात्मक सोच और परिश्रम से जिले के कई थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की जान बचाई... सिरोही जिले में वन...

हसीना हमारी है या उनकी ?

यह मार्मिक आलेख ऑसप्रे प्रजाति के पक्षी पर हुई शोध से सम्बंधित है, इस अध्ययन  ने जहाँ कई सवालों के जवाब दिए हैं, वहीँ कई नए सवाल हमारे सामने खड़े कर दिए हैं। हसीना एक मच्छीमार शिकारी पक्षी है, जो...

वन रक्षक 2: पक्षी विविधता और संरक्षण प्रेमी: राजाराम मीणा

राजाराम, एक ऐसे वन रक्षक जिन्हे वन में पाए जाने वाली जैव-विविधता में घनिष्ट रुचि है जिसके चलते ये विभिन्न पक्षियों पर अध्यन कर चुके हैं तथा स्कूली छात्रों को वन्यजीवों के महत्त्व और संरक्षण के लिए...

नर बाघ का अपने शावक के प्रति प्रेम

नर बाघ भी अपने शावकों के प्रति प्रेम दर्शाते हैं। रणथम्भोर में एक बाघ, मादा के क्षेत्र में आ कर दहाड़ लगाता है, मानो किसी से मिलने के लिए बेताब है। कुछ समय पश्च्यात नर की उस पुकार पर, एक बाघिन अपनी...

कैलादेवी अभ्यारण्य बाघों के लिए संभावनाओं की भूमि

कैलादेवी अभ्यारण्य वर्षों से विश्व प्रसिद्ध रणथम्भोर टाइगर रिज़र्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है परन्तु सभी ने संरक्षण की दृष्टि से इसे नजरअंदाज किया है, इसी कारण हाल तक यह किसी बाघ का स्थायी...

वन रक्षक 1: जुनून और जज़्बे की मिसाल: अभिषेक सिंह शेखावत

अभिषेक एक सक्षम एवं संपन्न परिवार में जन्म लेने के बावजूद, अपने लिए प्रकृति एवं वन्यजीव संरक्षण जैसे कठोर एवं श्रमशील कार्य के निचले पायदान को चुना और आज वन क्षेत्र में शिकारियों की रोकथाम,...