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राजस्थान के संरक्षित क्षेत्र

मनुष्यों द्वारा मुख्यतः खेती और वनों के लिए भूमि उपयोग से भूमि का परिदृश्य बदल रहा है। आज, समस्त भूमि का एक तिहाई हिस्सा अपना मूल स्वरूप या तो खो चुका है या खोना जारी है, जिसके परिणामस्वरूप जैव...

वन रक्षक 3: रेस्क्यू क्वीन: अंजू चौहान

अंजू, एक वन रक्षक की बेटी जिसे पूरा सिरोही जिला रेस्क्यू क्वीन के नाम से जानता है और जिसने अपनी सकारात्मक सोच और परिश्रम से जिले के कई थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की जान बचाई... सिरोही जिले में वन...

हसीना हमारी है या उनकी ?

यह मार्मिक आलेख ऑसप्रे प्रजाति के पक्षी पर हुई शोध से सम्बंधित है, इस अध्ययन  ने जहाँ कई सवालों के जवाब दिए हैं, वहीँ कई नए सवाल हमारे सामने खड़े कर दिए हैं। हसीना एक मच्छीमार शिकारी पक्षी है, जो...

वन रक्षक 2: पक्षी विविधता और संरक्षण प्रेमी: राजाराम मीणा

राजाराम, एक ऐसे वन रक्षक जिन्हे वन में पाए जाने वाली जैव-विविधता में घनिष्ट रुचि है जिसके चलते ये विभिन्न पक्षियों पर अध्यन कर चुके हैं तथा स्कूली छात्रों को वन्यजीवों के महत्त्व और संरक्षण के लिए...

नर बाघ का अपने शावक के प्रति प्रेम

नर बाघ भी अपने शावकों के प्रति प्रेम दर्शाते हैं। रणथम्भोर में एक बाघ, मादा के क्षेत्र में आ कर दहाड़ लगाता है, मानो किसी से मिलने के लिए बेताब है। कुछ समय पश्च्यात नर की उस पुकार पर, एक बाघिन अपनी...

कैलादेवी अभ्यारण्य बाघों के लिए संभावनाओं की भूमि

कैलादेवी अभ्यारण्य वर्षों से विश्व प्रसिद्ध रणथम्भोर टाइगर रिज़र्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है परन्तु सभी ने संरक्षण की दृष्टि से इसे नजरअंदाज किया है, इसी कारण हाल तक यह किसी बाघ का स्थायी...

वन रक्षक 1: जुनून और जज़्बे की मिसाल: अभिषेक सिंह शेखावत

अभिषेक एक सक्षम एवं संपन्न परिवार में जन्म लेने के बावजूद, अपने लिए प्रकृति एवं वन्यजीव संरक्षण जैसे कठोर एवं श्रमशील कार्य के निचले पायदान को चुना और आज वन क्षेत्र में शिकारियों की रोकथाम,...

राजस्थान के वन

प्रस्तुत आलेख द्वारा जानते हैं, राजस्थान की अनुपम वन सम्पदा के बारे में जो न सिर्फ हमारी अनेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष जरूरतों को पूर्ण करते हैं बल्कि वन्य जैव-विविधता को भी संरक्षित करते हैं......

राजस्थान वन विभाग के लेखकों द्वारा वन एवं वन्यजीवों संबंधी साहित्य सृजन में योगदान

राजस्थान मे वानिकी साहित्य सृजन के तीन बडे स्त्रोत है - वन अधिकारीयों द्वारा  स्वतंत्र लेखन, विभागीय स्तर पर दस्तावेजीकरण एवं वन विभाग के बाहर के अध्येताओं द्वारा लेखन। वन विभाग राजस्थान में कार्य...

सरिस्का बाघ अभयारण्य में भामर मधुमक्खी पर एक अध्ययन

"सरिस्का टाइगर रिजर्व में "भामर मधुमक्खी" द्वारा छत्ता बनाने के लिए बरगद कुल के बड़े एवं पुराने पेड़ों को प्राथमिकता दिया जाना पुराने पेड़ों की महत्वता पर प्रकाश डालती है।" हमारी प्रकृति में विभिन्न...

दुनिया कि सबसे छोटी बिल्ली एवं राजस्थान में उसका वितरण

हाल ही में एक अध्ययन से खुलासा, कि राजस्थान के कई जिलों में उपस्थित है दुनियाँ की सबसे छोटी बिल्ली ... दुनियाँ की सबसे छोटी बिल्ली रस्टी-स्पोटेड कैट (Prionailurus rubiginosus), का वितरण क्षेत्र अन्य...

राजस्थान में सर्दियों के मेहमान: ग्रिफॉन गिद्ध

"सर्दियों के मेहमान प्राचीन युग गिद्ध "ग्रिफॉन", जिनके आगमन से लगता है...गिद्धों की संख्या में वृद्धि हो रही है।" राजस्थान में, अचानक जब सर्दियों में गिद्ध देखने को मिलते हैं तो अक्सर लोग ये अनुमान...

पैसिव प्लांट टैक्सोनॉमी: राजस्थान के विशेष सन्दर्भ में

जानिये कैसे गूगल से पौधों की सरल पहचान बने खतरा ए जान? क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे चारों ओर कितने प्रकार के पेड़-पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं? सोचिये अगर इन सभी के भिन्न-भिन्न नाम ही न होते तो?...

अध्ययन से खुलासा: 95% भारत के हिस्से से विलुप्त हुई सियागोश बिल्ली (Caracal)

कैरेकल यानि सियागोश, दुनिया में सबसे व्यापकरूप से पाई जाने वाली एक छोटे आकार की बिल्ली प्रजाति है। जो विश्व के 60 देशों में मिलती है। हालाँकि, एशियाई देशों में इसके संरक्षण की स्थिति और पारिस्थितिकी...

जोड़बीड़: एक गिद्ध आवास

जोड़बीड़, एशिया का सबसे बड़ा गिद्ध स्थल, जो राजस्थान में प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान भी है, गिद्धों की घटती आबादी के लिए प्राकृतिक आवास व भोजन व्यवस्था का श्रोत है… जोड़बीड़ गिद्ध आवास...

Hamir – The Fallen Prince of Ranthambhore

यह पुस्तक श्री अर्जुन आनंद द्वारा लिखित एक कॉफी टेबल फोटोग्राफी पुस्तक है जो विश्व प्रसिद्ध रणथंभौर नेशनल पार्क के लोकप्रिय बाघों की तस्वीरों व् उनके जीवन को साझा करती है तथा इस पुस्तक में स्थानीय...

काँटेदार झाऊ-चूहा

शरीर के बालों को सुरक्षा के लिए कांटों में विकसित कर लेना उद्विकास की कहानी का एक बहुत ही रुचिपूर्ण पहलू है। हालाँकि इनकी काँटेदार ऊपरी त्वचा इन्हें अधिकांश परभक्षियों से बचा लेती है फिर भी परिवेश...

रसेल्स वाइपर में नर संग्राम

रसेल्स वाईपर, भारत के सबसे खतरनाक 4 साँपों में से एक। दो नर सांप संग्राम नृत्य का प्रदर्शन करते हैं जिसमें वह एक दूसरे के चारों ओर लिपटकर एक दूसरे को वश में करने के लिए अपने ऊपरी शरीर को उठाते हैं,...

प्रोफेसर ईश्वर प्रकाश: जीवनी परिचय

प्रोफेसर ईश्वर प्रकाश थार रेगिस्तान के अत्यंत महत्वपूर्ण जीव वैज्ञानिक रहे है। इनके द्वारा किये गए अनुसन्धान ने रेगिस्तान के जीवों के अनछुए पहलुओं पर रोशनी डाली हैं। उनके जीवन पर डॉ प्रताप ने एक...

अरावली के सूंदर एवं महत्वपूर्ण वृक्ष

अरावली राजस्थान की मुख्य पर्वत शृंखला है जो छोटे और मध्य आकर के वृक्षों से आच्छादित है, इन वृक्षों में विविधता तो है परन्तु कुछ वृक्षों ने मानो पूरी अरावली में बहुतायत में मिलते है जिनमें सबसे...

राजस्थान में मिलने वाले कछुओं की प्रजातियां

राजस्थान के भूभाग पर  विशाल प्राकृतिक आवास जैसे थार का रेगिस्तान, अरावली एवं विंध्यन की शुष्क पर्वतमाला, शुष्क और अर्ध-शुष्क पतझड़ी वन, अलवणीय एवं लवणीय झीलें तथा आर्द्र भूमि आदि मौजूद हैं | राजस्थान...

गोडावण के आसमान में तारो का जंजाल

अति संकटापन्न पक्षी प्रजाति गोडावण के पर्यावास में महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा की परियोजनाओं के कारण विद्युत् लाइनों का मानो जाल बिछ गया है। इनके सम्बन्ध में अक्सर कहा जाता है, इन्हे भूमिगत रूप से...

इन पेड़ों और झाड़ियों के बिना राजस्थान का रेगिस्तान अधूरा हैं

राजस्थान को मुख्यतया दो भागों में बांटा जा सकता हैं - मरुस्थलीय हिस्सा एवं अरावली अथवा विंध्य पहाड़ियों से घिरा भूभाग। मरुस्थल में पौधों के जीवन में अत्यंत विविधता हैं परन्तु यदि सामान्य तौर पर देखे...

THE UNTAMED: RANTHAMBHORE | JHALANA

यह पुस्तक अभिक्रम शेखावत के 4 सालों के रणथम्भौर नेशनल पार्क व झालाना लेपर्ड पार्क के वन्यजीव फोटोग्राफी के अनुभव को साझा करती है | यह किताब इनके द्वारा लॉकडाउन समय के दौरान लिखी गयी व् 5 माह के अथक...

ग्रेटर हूपु लार्क: तपते मरुस्थल का शोमैन

ग्रेटर हूपु लार्क, रेगिस्तान में मिलने वाली एक बड़े आकार की लार्क, जो उड़ते समय बांसुरी सी मधुर आवाज व् खूबसूरत काले-सफ़ेद पंखों के पैटर्न, भोजन खोजते समय प्लोवर जैसी दौड़ और खतरा महसूस होने पर घायल...

औपनिवेशिक अवधारणा एवं संकटग्रस्त परिदृश्य : बाह्य आक्रामक प्रजातियों का पारम्परिक पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव

स्थानीय वनस्पतिक समुदाय में सीमित प्रजातियों की संख्या के कारण शुष्क एवं अर्द्ध-शुष्क प्रदेश किसी भी बाह्य आक्रामक प्रजाति को पारिस्थितिक रूप से संसाधनों के लिए मजबूत प्रतिस्पर्धा नहीं दे पाते ।...

क्यों राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में अधिक से अधिक बाघों के लिए घर बनाना चाहिए और उनमें ज़िम्मेदारी के साथ बाघों को स्थापित करना चाहिए?

वर्तमान में संरक्षित क्षेत्रों (अभयारण्य / राष्ट्रीय उद्यान) को बाघ अभ्यारण्य में परिवर्तित करने की लगातार मांग हो रही है। वह क्षेत्र भले ही बाघों के लिए उपयुक्त हो या नहीं , लेकिन गैर-सरकारी संगठन,...

स्परफाउल: राजस्थान में मिलने वाली जंगली मुर्गियां

स्परफाउल, वे जंगली मुर्गियां जिनके पैरों में नाख़ून-नुमा उभार होते हैं राजस्थान के कई जिलों में उपस्थित हैं तथा इनका व्यवहार और भी ज्यादा दिलचस्प होता है... पक्षी जगत की मुर्ग जाति में कुछ सदस्य ऐसे...

कुछ परम्परागत प्रथाऐं एवं उनके हानिकारक प्रभाव

विभिन्न वनस्पत्तियों के लिए स्थानीय समूदायों का पारम्परिक ज्ञान हमेशा से ही एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक विरासत है, परन्तु इन समुदायों की कई परम्परायें ऐसी भी हैं जो प्रकृति के संरक्षण की मुहिम की खिलाफत...

राजस्थान में जल संरक्षण की परम्परा

जल संरक्षण का सूक्ष्मता से अध्ययन के लिए आप शेखावाटी के अद्धभुत जोहडों और कुंडो की संस्कृति को आधार बना सकते हो ... राजस्थान के चूरू जिले के गाँवो में जब भी काले बादल छाते है, यहाँ के निवासी अपनी...

राजस्थान में “इंद्रधौक” (Anogeissus sericea Var. sericea) का वितरण

राजस्थान के शुष्क वातावरण में पाए जाने वाला वृक्ष "इंद्रधौक" जो राज्य के बहुत ही सिमित वन क्षेत्रों में पाया जाता है, जंगली सिल्क के कीट के जीवन चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है... राजस्थान जैसे...

राजस्थान के दुर्लभ “नारंगी चमगादड़”

जानिये  राजस्थान के दुर्लभ नारंगी रंग के चमगादड़ों के बारे में जिन्हे चिड़िया के घोंसलों में रहना पसंद है... राजस्थान चमगादडों की विविधता से एक धनी राज्य है। यहाँ थार रेगिस्तान से लेकर अरावली...

कुत्तो का वायरस बाघों के लिए खतरा: कैनाइन मोर्बिली वायरस

कुत्तों से फैला कैनाइन मोर्बिली वायरस या कैनाइन डिस्टेंपर वायरस शेर और बाघ के लिए खतरा बना गया है। यह वायरस कभी भी उनपर कहर बरपा सकता है। अभी तक इसके संक्रमण से जूझ रहे शेर-बाघों को बचाने वाली कोई...

एक दिव्यांग शावक बघेरा: जिसने कभी हार न मानी

हम सब मानते है की, शारीरिक दुर्बलता शिकारी जीवों के लिये उनकी जान की दुश्मन होती है। खासकर एक बडी बिल्ली यदि शारीरिक रूप से विकलांग हो जाए तो उसका जीवित रहना आखिर कब तक संभव होगा? यदि तेंदुए और बाघ...